रक्षा बजट बढ़ाना प्राथमिकता में न हो तो ही अच्छा
संजीव
खुदशाह
भारत
में बजट का इतिहास करीब डेढ़ सौ साल पुराना है । इतने वर्षों में बजट पेश किए जाने
के समय से लेकर तौर तरीकों में बड़े स्तर पर बदलाव हुऐ है। कई नई परंपराएं
अस्तित्व में आई और कई प्रतिमान स्थापित हुए। भारत में पहला बजट ब्रिटिश शासन के
दौरान 1860 में पेश किया गया। पहले रेल बजट अलग से पेश किया जाता था जिसको लेकर
लोगों में उत्सुकता रहती थी कि इस बजट में रेल यात्रियों और उनके कर्मचारीयों को
नया क्या मिलने वाला है । 2017 के बाद से रेल बजट आम बजट के साथ ही पेश होता है।
इसी प्रकार रक्षा बजट भी कभी अलग से पेश नहीं हुआ है। इसे आम बजट के साथ में
प्रस्तुत करने की परिपाटी रही है। रक्षा बजट का अध्ययन करने से यह पता चलता है कि
सरकार देश की रक्षा सुरक्षा में कितना खर्च करने जा रही है और किन-किन क्षेत्रों
में खर्च करना सरकार की प्राथमिकता है।
आम
बजट में बहुत सारे छोटे-छोटे विभाग होते हैं। अक्सर यह मंत्रालय के रूप में काम
करते हैं और उनके लिए अलग से बजट का प्रावधान होता है। जिसे जोड़कर आम बजट बनाया
जाता है। जैसे कृषि, खाद्य, टेक्नोलॉजी,
रेल, सैन्य बजट आदि आदि। इसी प्रकार किन
स्रोतों से सरकार को आय होगी उन स्रोतों का खुलासा भी आम बजट में किया जाता है। देश की सामरिक शक्ति के विकास के साथ-साथ रक्षा बजट का महत्व बढ़ता जा रहा
है। वैसे भी देश की सुरक्षा और शांति व्यवस्था के लिए रक्षा बजट की आवश्यकता पड़ती
है। क्योंकि भारत की सेना युद्ध के दौरान न केवल देश की रक्षा करती है बल्कि शांति
काल के दौरान आपदा से भी बचाती है। इसलिए रक्षा बजट को केवल युद्ध के दृष्टिकोण से
देखना सही नहीं होगा।
इस
बार रक्षा बजट में क्या है?
केंद्रीय
बजट 2024 25 में रक्षा मंत्रालय को 6.22 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए जो सब
मंत्रालय से ज्यादा यह राशि वित्त वर्ष 2023 24 की तुलना में 4.79 प्रतिशत ज्यादा
है। पूंजी के अधिग्रहण के लिए 1.72 लाख करोड़ रुपए आवंटित किए गए। जीविका और
परिचालक तत्परता के लिए 92,088 करोड़ रुपए दिए गए। गौरतलब है की रक्षा पेंशन बजट
1.41 लाख करोड़ रुपए दिया गया। इसी प्रकार ECHS के लिए
6968 करोड़ रुपए निर्धारित किए गए। सीमा पर सड़कों के विकास के लिए 6500 करोड़
रुपए आवंटित किए गए और तटीय सुरक्षा के लिए 7651 करोड़ रुपए आवंटित हुए। इस बजट में सरकार का दावा है कि केंद्रीय सशस्त्र बलों को आधुनिक किया
जाएगा। जिसमें घातक हथियार, लड़ाकू विमान, जहाज, पनडुब्बिया, प्लेटफार्म,
मानव रहित हवाई वाहन, ड्रोन, विशेषज्ञ, वाहन आदि से लैस किया जाएगा। सरकार द्वारा
जारी प्रेस रिलीज में यह दावा किया गया है कि भूतपूर्व सैनिकों के स्वास्थ्य और
उनकी सुविधाओं में बढ़ोतरी के लिए प्रतिबद्ध है। इसलिए 2024-25 के रक्षा बजट
(सैनिक अंश दाई स्वास्थ्य योजना) में 28% की वृद्धि की गई। रक्षा अनुसंधान और
विकास के लिए विशेष बजट का प्रावधान किया गया है ताकि आधुनिक तकनीक विकसित करने की
प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जा सके। इसी प्रकार रक्षा पेंशन के लिए कुल बजट आवंटन
1,41,205 करोड़ रुपए है जो पिछले वर्ष के दौरान दिए गए आवंटन से 2.17% ज्यादा है।
यह पेंशन प्रशासन प्रणाली या स्पर्श और अन्य पेंशन वितरण प्राधिकरणों के जरिए लगभग
32 लाख पेंशन भोगियों की मासिक पेंशन में खर्च होगा ।
पाकिस्तान
का रक्षा बजट
पाकिस्तान
ने 2024-25 के बजट में डिफेंस का खर्च बढ़ाया था। पाक सरकार ने अपने रक्षा क्षेत्र
के लिए 2122 अब पाकिस्तानी रुपए आवंटित किए थे। इसकी तुलना अगर भारतीय रुपए से की
जाए तो करीब 59.42 हजार करोड़ रुपए के बराबर होते हैं। जो भारत की रक्षा बजट के
मुकाबले काफी कम है। चीन और भारत के मुकाबले
भी पाकिस्तान का रक्षा बजट काफी कम है। 2024 में पाकिस्तान का रक्षा बजट
करीब 10.3 अरब डालर था जो भारत और चीन के मुकाबले कहीं नहीं टिकता है। जबकि 2024
में पाकिस्तान ने अपने रक्षा बजट में 17.5% की बढ़ोतरी की थी।
चीन
का रक्षा बजट
चीन
ने रक्षा बजट 236 अरब डॉलर रखा है। अगर रक्षा अनुसंधान और विकास अन्य उद्योग
संबंधी पहलों में कॉरपोरेट फंडिंग को जोड़ा जाता है तो यह चीन के वार्षिक बजट से
काफी बढ़ जाता है। इसीलिए कुछ एक्सपर्ट्स का तर्क है कि चीन का रक्षा खर्च 711 अरब
डॉलर के बराबर है जो इस साल अमेरिका के सैन्य खर्च के 875 बिलियन डॉलर के स्तर के
करीब है। यानी चीन अपनी सैन्य बजट में काफी खर्च कर रहा है। यदि भौगोलिक क्षेत्रफल
के हिसाब से देखा जाए तो भी चीन सैन्य बजट पर निवेश में भारत से कहीं आगे है। अमेरिका, चीन, सोवियत रूस और
दूसरे बड़े देशों के रक्षा बजट पर नजर डालें तो या महसूस होता है कि रक्षा बजट पर
खर्च करने की होड़ मची हुई है। आखिर क्यों इतना ज्यादा रक्षा पर खर्च किए जा रहे
हैं, यह प्रश्न खड़ा होता है। ऐसा करने में भारत भी अपने आप
को पीछे नहीं रखना चाहता। जबकि मूलभूत जरूरतों पर खर्च करना एक विकासशील देश की
प्राथमिकता होनी चाहिए। शिक्षा, स्वास्थ्य, खाद्यान्न, कृषि पर और ज्यादा खर्च किए जाने की
जरूरत है। हालांकि शिक्षा बजट पर इस साल 6.65% की मामूली वृद्धि की गई है। लेकिन
भारत की स्कूल की व्यवस्था और शिक्षा की स्थिति को देखते हुए ना काफी है। आज भी
भारत के विश्वविद्यालय विश्व के टॉप के 100 विश्वविद्यालय में शामिल नहीं है।
शिक्षा पर विशेष खर्च किए जाने की जरूरत थी।
आज के
समय में विश्व का रक्षा बजट पूंजीवाद का गुलाम हो चुका है। कई देश के आय का साधन
केवल अस्त्र-शस्त्र बिक्री पर ही आधारित है। यह बड़े देश प्रयास करते हैं कि
विकासशील देशों को यह विध्वंसक शस्त्र बिक्री करें और युद्ध को प्रेरित करें।
सरकार के नकाब में आयुध फैक्ट्री के मालिक रक्षा डील करते हैं। और यह कोशिश करते
हैं कि उनके अस्त्र-शस्त्र को किसी न किसी प्रकार से खपाया जाए। ताकि बड़ा मुनाफा
कमाया जा सके। हालांकि भारत अभी अस्त्र-शस्त्र बेचने की स्थिति में नहीं है।
बावजूद इसके यह दावा किया जा रहा है कि इस बजट के बाद में कई देशों को आधुनिक
अस्त्र-शस्त्र बेचा जाएगा। इसमें कोई दो मत नहीं है कि पड़ोसी देशों को देखते हुए
भारत के रक्षा बजट को बढ़ाया जाए। लेकिन यह हमारी प्राथमिकता में नहीं होनी चाहिए।
हमारा देश अभी भी विकासशील देशों की गिनती में है। यानी विकसित नहीं हुआ है । ऐसी
स्थिति में हमारे देश को विकसित बनाने के लिए प्रयास करना चाहिए और यदि देश को
विकसित बनाना है तो उसके स्वास्थ्य, शिक्षा और
खाद्यान्न का बजट बढ़ाना होगा। नई टेक्नोलॉजी को प्रेरित करना होगा। युवा शक्ति का
भरपूर उपयोग करना होगा। तब कहीं जाकर भारत विकसित देश बन पाएगा।
Publish On Rastriya Sahara Dated 8 Feb 2025