सिरपुर चलो, संविधान जानों हीरक जयंती 2025

सिरपुर महोत्‍सव के लिए संकल्‍प

रायपुर दिनांक 12.01.2025 को डॉ अंबेडकर वेल्फेयर सोसाइटी की आठवीं बैठक श्री दिलीप वासनीकर की अध्यक्षता में संपन्न हुई, जिसमें प्रमुख रूप से उपाध्यक्ष श्री महादेव कावरे, श्री के एन कांडे एवं श्री सुनील रामटेके, श्री सारंग हुमने, महासचिव, श्री कमलेश बंसोड, कोषाध्यक्ष श्री मदन मेश्राम, महेंद्र बागड़े उपस्थिति थे। बैठक में सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि कोचिंग के लिए मकान किराए अथवा खरीदने का प्रस्ताव, समिति  की गतिविधि एजुकेशन, स्वस्थ्य एवं अन्य गतिविधि पर कार्य करने, कचना में समिति के लिए कलेक्टर से भूमि आवंटन। 

समिति के सदस्यों की संख्या बढ़ाने, संविधान की प्रति विधायक गण को देने, समाज के गरीब वंचित बच्चों को समिति द्वारा यथा संभव मदद करने, डिजिटल माध्यम से सोसाइटी का प्रचार, सिरपुर में चलो संविधान की ओर हीरक जयंती 2025 कार्यक्रम का विशाल आयोजन करने तथा इसके लिए एक अलग समिति का गठन करने , समिति की आडिट रिपोर्ट, नया रायपुर में बुद्ध समाज के लिए भूमि आवंटन करने आदि महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई।

सोसाइटी के महासचिव कमलेश बंसोड़ की रिर्पोट

Even the lockers of banks are not safe, where should the citizens go

 बैंकों के लॉकर भी सुरक्षित नहीं, नागरिक जाए तो कहां जाएं

संजीव खुदशाह 

बैंक और लाकर की सुविधा शुरू होने से पहले लोग अपने बहुमूल्य रुपए पैसे और कागजात गुप्त रूप से रखी तिजोरी में रखा करते थे। प्राचीन काल में लोग घर में ही किसी गुप्त स्थान पर गड्ढे खोदकर किसी मटकी या बर्तन में बहुमूल्य चीज़े रखा करते थे। लेकिन इसमें भय यह होता था कि यदि घर के जिम्मेदार व्यक्ति की असमय मौत हो जाती तो वह गुप्त स्थान में रखी चीजे उनके परिवारजनों को नहीं मिल पाती। या कई बार ऐसा होता की चोर और डकैत उन गुप्त स्थान से भी चोरी कर लिया करते लूट की वारदात हो जाती। यानी घर में रखी चीजे सुरक्षित नहीं मानी जाती है। 


इस कारण लोगों ने अपने रूपए पैसे बैंक में रखना शुरू किये। बहुमूल्य वस्तुएं, गहने और कागजात के लिए बैंकों में लाकर की सुविधा शुरू हुई। तो लोगों ने इसका लाभ लेना शुरू किया। यह सोचकर की बैंकों में 24 घंटे सुरक्षा होती है। उनकी चीजे वहां सुरक्षित होगी। लेकिन विगत दिनों घट रही घटनाओं से यह सुरक्षा की गारंटी भी खत्म होती दिखती है। एक आम नागरिक घर में चोरी डकैती न हो जाए यह सोचकर अपने बहुमूल्य कागजात और जेवर रूपए पैसे बैंकों के लॉकर में रखते हैं। ताकि वहां पर वे सुरक्षित रहें। लेकिन कई बार ऐसी घटना सामने आती है कि चोर बैंक की तिजोरी को न निशाना बनाकर उसके लाकर को निशाना बनाते हैं। और आम जनता, बैंकों के ग्राहक हाथ मलते रह जाते हैं।

पिछले दिनों 17 दिसंबर को लखनऊ के ओवरसीज बैंक में दीवार काटकर चोरों ने 90 में से 42 लॉकर तोड़कर करोड़ों रुपए और जेवर पार कर दिए। बताया जा रहा है की दिन में बैंक के आसपास के इलाके की रेकी की, इस दौरान बैंक में आसानी से दाखिल होने के रास्ते की तलाश की, आसपास कहां-कहां सीसीटीवी कैमरे लगे हैं इसका पता लगाया। चार दिन एक-एक चीज की बारीकी से रेकी के बाद गिरोह ने तय किया कि शनिवार की रात वारदात को अंजाम दिया जाएगा। चोरों ने मुंह में कपड़ा बांधा हुआ था तथा हेलमेट लगाए हुए थे ताकि सीसीटीवी से उनकी पहचान न हो सके। हालांकि लखनऊ के इस बैंक के मामले में चोर पकड़े गए तथा चोरी के सामान भी बरामद कर लिए गए। यह स्थानीय पुलिस की सक्रियता के कारण संभव हो पाया। खबर यह भी है कि एनकाउंटर में दो चोर मारे गए।  घटना के दूसरे तीसरे दिन बैंक लॉकर के ग्राहक घटनास्थल पर पहुंचे और रोते बिलखते हुए दिखे। किसी ने बताया कि उसने अपनी बेटी की शादी के लिए गहने वहां रखे थे । तो किसी ने बताया कि रिटायरमेंट के बाद अपने जीवन की सुरक्षा के लिए सारे बहुमूल्य पेपर और पैसे वहां रखे थे। किसी ने बताया कि उनकी प्रॉपर्टी के कागजात वहां पर थे। लेकिन अब वह वहां नहीं है । उनके लॉकर टूटे हुए थे। चोरों से बरामद सामान में भी ग्राहकों को अपने सामान की पहचान और दावा करने में कई अड़चनों का सामना करना पड़ेगा। जब तक उनके पास पूरा वैद्य दस्तावेज नहीं होगा। तब तक उन्हें उनके गहने जेवर रूपए पैसे प्राप्त करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ेगा।

इस प्रकरण में बैंक अफसर यह दावा कर रहे हैं और अपनी सफाई दे रहे हैं कि बैंक की तरफ से सुरक्षा में कोई चूक नहीं हुई। रिजर्व बैंक आफ इंडिया के नियमों के मुताबिक पूरी व्यवस्था थी। लॉकर में डबल लॉक रहता है। इसकी एक चाबी बैंक के पास और दूसरी ग्राहक के पास होती है। ऑडिट विभाग समय-समय पर इमारत की सुरक्षा की पड़ताल करता है। ऑडिट में बैंक के भवन को सुरक्षित बताया गया। यह भी बताया गया कि सभी बैंक आरबीआई के नियमों के तहत ही संचालित होते हैं। किसी भी बैंक में रात को गार्ड की तैनाती करने की व्यवस्था नहीं है। रात कि सुरक्षा व्यवस्था की जिम्मेदारी स्थानीय पुलिस और गश्ती दल की होती है।

गौरतलब है कि आधुनिक सुरक्षा प्रणाली एवं तकनीक के बावजूद चोर किस तरह बैंक में दाखिल हुए और 42 लाकरों को उन्होंने तोड़ा। लेकिन बैंक के मैनेजर तक को पता नहीं चला। चूंकि बैंक में स्वचालित अलार्म की व्यवस्था होती है। इस समय अलार्म क्यों नहीं बजे। यदि बजे तो चोरों तक अधिकारी क्यों नहीं पहुंच पाए। यह सारी चीज प्रश्न वाचक चिन्ह खड़ा करती है। खैर ऐसी स्थिति में बैंकों के ग्राहक अपने आप को ठगा सा महसूस करते हैं। क्योंकि उनके सामने यह प्रश्न खड़ा हो जाता है कि जब बैंक भी सुरक्षित नहीं है तो वह अपने बहुमूल्य सामान को रखे तो कहां रखें। बैंक के लॉकर की शर्तों में इस बात का जिक्र होता है की चोरी होने की स्थिति में बैंक की जिम्मेदारी नहीं होगी। कई बैंक लॉकर का बीमा करवाते हैं ऐसी स्थिति में भी नुकसान ग्राहक को होता है। क्योंकि बहुमूल्य वस्तुएं और जरूरी कागजात वापस नहीं मिल पाते हैं।

काश ऐसे कड़े‍ नियम बनाए जाते जिससे बैंक अफसरों की जिम्मेदारी तय होती और बैंक लॉकरों के प्रति लोगो का विश्वास कम होने के बजाए बढ़ता। उन खामियों को दूर किया जाना चाहिए जिसके सहारे ऐसे वारदात को अंजाम दिया जाता है।

राष्‍ट्रीय सहारा दिनांक 30/12/2024 को प्रकाशित

What is Digital Arrest ?

डिजिटल अरेस्ट क्या है?

संजीव खुदशाह

आज के आधुनिक दौर में नई-नई तकनीक और आइडिया का उपयोग करके ठग, लोगों को लूट रहे हैं। इन्‍ही नई तकनीक से आनलाईन डराकर ठगी करने को डिजिटल अरेस्‍ट कहते है। डिजिटल अरेस्ट बिल्कुल नया शब्द है। बहुत सारे लोग डिजिटल अरेस्ट शब्द से वाकिफ नहीं है। लेकिन आए दिन समाचार पत्रों से लेकर सोशल मीडिया एवं अन्य माध्यमों से यह जानकारी सामने आ रही है कि लोग किस प्रकार डिजिटल अरेस्ट हो रहे हैं। और अपनी जमा पूंजी से हाथ धो रहे हैं। यह एक प्रकार से ब्लैकमेलिंग का धंधा है जो कि सामने आए बिना, गुमराह करके आम नागरिक से पैसे लूटते है। पैसे लूटने के दौरान वह किसी न किसी चीज का डर दिखाते है और पैसे लूटने की एक ही तकनीक अपनाते हैं वह है ऑनलाइन मनी ट्रांसफर। कई बार व्‍यक्ति इतना डर जाता है कि डर के मारे पैसे ठग के बताये अकाउंट में जमा करता है। 

डिजिटल अरेस्ट में किसी शख्स को ऑनलाइन माध्यम से डराया जाता है कि वह सरकारी एजेंसी के माध्यम से अरेस्ट हो गया है। उसे पेनल्टी या जुर्माना देना होगा। डिजिटल अरेस्ट एक ऐसा शब्द है जो कानून में नहीं है लेकिन इस तरह के बढ़ते अपराध की वजह से इसका उद्भव हुआ है। पिछले 3 महीने के दौरान दिल्ली एनसीआर में डिजिटर अरेस्‍ट के 600 मामले ऐसे आए हैं जिनमें 400 करोड़ की धोखाधड़ी हुई है। इसके अलावा कई सारे अनरिपोर्टेड मामले हैं। कई ऐसे मामले भी सामने आते हैं जो की सफल नहीं होते हैं। कई मामलों में पीड़ित डर या शर्म की वजह से अपने ठगे जाने का खुलासा नहीं करता है। डिजिटल अरेस्ट के संगठित गिरोह का अभी तक खुलासा नहीं हुआ है। इस वजह से डिजिटल अरेस्ट के मामले बढ़ते जा रहे हैं। 

डिजिटल अरेस्ट कितने प्रकार के होते हैं ?

यदि डिजिटल अरेस्ट के तरीकों पर जाएं तो करीब 5 या 6 प्रकार के तरीके होते हैं जिसके आधार पर आपको डिजिटल अरेस्ट किया जा सकता है।

1. कुरियर के नाम पर - इसमें कहा जाता है कि आपने जो कुरियर या पार्सल मंगाया था उसमें गैर कानूनी चीज जैसे हथियार या ड्रग्स आदि है। आप फस गए हो आपको बचाने के लिए हमें आपके बैंक खाते के पासवर्ड देने होंगे या फिर इतने पैसे ट्रांसफर करने होंगे।

2. बैंक खाते पर ट्रांजैक्शन (मनी लांड्रिंग) -इस तरीके में कहा जाता है कि आपने मनी लॉन्ड्रिंग की है आपके खाते में बड़े अमाउंट के बैंक ट्रांजैक्शन दिखा रहे हैं। आप फस जाओगे। आपके खाते में बैंक ट्रांजैक्शन नहीं होने के बावजूद आपको यकीन दिलाया जाता है कि बैंक ट्रांजैक्शन बड़े अमाउंट का हुआ है और आपके ऊपर कार्यवाही हो सकती है। बचने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।

3. हवाला के नाम पर - यह कहा जाता है कि आपने हवाला के नाम पर पैसे लिए हैं। अब आप फस गए हो आपके ऊपर कानूनी कार्रवाई होगी। कार्रवाई ख़त्म करने के लिए आपको पैसे देने होंगे।

4. धमकी / लालच देकर - आपके निकट के रिश्तेदार अथवा आपके बच्चों पर कानूनी कार्रवाई की जा रही है। यह कहकर आपको धमकी दी जाती है और छुड़वाने का लालच देकर पैसे मांगे जाते हैं.

5. इनकम टैक्स के नाम पर - इसमें यह कहा जाता है कि वह इनकम टैक्स या इ डी डिपार्टमेंट से हैं बाकायदा उनकी ड्रेस भी पहने होते हैं और इनकम टैक्स का छापा आपके घर में मारेंगे कहकर कार्रवाई से बचने के लिए पैसे मांगे जाते हैं।

6. अश्लील वीडियो का आरोप – यह कहा जाता है कि आपने डी जी पी की बेटी को अश्लील मैसेज किया है। आपके ऊपर कार्यवाही होगी, गिरफ्तार करके जेल भेजा जायेगा। मामला रफा दफा करने के लिए पैसे देने होगे।

यदि आपके खाते में पैसे नहीं है फिर भी आप डिजिटल अरेस्ट हो सकते हैं। 

कई लोग यह समझते हैं कि उनके खाते में पैसे नहीं है या बहुत कम पैसे हैं तो वह डिजिटल अरेस्ट होने से बच सकते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है। कई मामले ऐसे सामने आए हैं। जिसमें डिजिटल अरेस्ट किया गया है और पीड़ित को उनके पैन कार्ड, बैंक के पासवर्ड आदि के आधार पर ऑनलाइन लोन लेकर उनके खाते से करोड़ों रुपए उड़ाए हैं। इस लोन के पैसे पीड़ित को जमा करना पड़ता हैं ।

डिजिटल अरेस्ट की शुरुआत कैसे होती है ?

पूरे स्कैम की शुरुआत एक सरल मैसेज या ईमेल अथवा व्हाट्सएप के संदेश से होती है। जिसमें दावा किया जाता है कि पीड़ित व्यक्ति किसी तरह की आपराधिक गतिविधि में शामिल है। इसके बाद उसे वीडियो या फोन कॉल करके कुछ खास प्रक्रिया से गुजरने के लिए दबाव डाला जाता है और पुष्टि के लिए कई तरह की जानकारी मांगी जाती है। ऐसे कॉल करने वाले खुद को पुलिस, नारकोटिक्स, साइबर सेल, इनकम टैक्स, सीबीआई या ई डी के अधिकारी होने का दावा करते हैं। वह बाकायदा किसी ऑफिस से यूनिफॉर्म में कॉल करते हैं। ताकि आपको शक न हो।

डिजिटल अरेस्ट से कैसे बचे ?

अपरिचित कॉल से बचें, किसी संदिग्ध व्यक्ति को अपनी निजी जानकारी न दे। सोशल मीडिया में निजी जिन्दगी की जानकारी साझा करने से बचे । यदि आपको ऑनलाइन डराया धमकाया जाता है तो इसकी जानकारी पुलिस को दें। कोई भी गवर्नमेंट का अधिकारी ऑनलाइन या वीडियो कॉलिंग करके किसी भी आम जनता को नहीं धमकाता है। न ही उसे पैसे मांगता है। हर हालत में आधार नंबर, पैन कार्ड नंबर, बैंक अकाउंट, क्रेडिट कार्ड की जानकारी और पासवर्ड किसी को न दें। यदि कोई व्यक्ति यह सब जानकारी मांग रहा है। इसका मतलब है कि वह आपके साथ ठगी करने जा रहा है। क्योंकि बैंक के कर्मचारी अधिकारी यह सब जानकारी फोन पर नहीं मांगते है। इस तरह आप अपने आपको डिजिटल अरेस्‍ट होने से बचा सकते है।

 



Dr Ambedkar is a Passion Not Fashion

 

डॉ आंबेडकर फैशन नहीं पैशन है

योगेश प्रसाद 

डॉ आंबेडकर के प्रति आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की नफरत कोई नई नहीं है। याद कीजिए आज से कई साल  पहले अटल बिहारी वाजपेई की सरकार के दौरान ऐसा ही एक मामला सामने आया। भाजपा नेता अरुण सौरी ने एक किताब लिखी। जिसका नाम था झूठे भगवान की पूजा "worshipping false God" Ambedkar and the fact which have been crashed यहां पर भगवान अंबेडकर को बताया गया। किताब के भीतर अंबेडकर के बारे में कितनी और कैसी बातें कही गई होगी, इसका आप अंदाजा किताब के शीर्षक से ही लगा सकते हैं। तब भी काफी बवाल मचा लेकिन वह बवाल साहित्यिक हलकों तक ही सीमित रहा। 

वोट के लालच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम भाजपा के नेता यहां तक आरएसएस के प्रमुख भी बे मन से ही सही डॉक्टर अंबेडकर के सामने अपने शीश को झुकाते हैं। लेकिन उनके प्रति नफरत बीच-बीच में बाहर आ जाती है। हिंदू कोड बिल डॉ आंबेडकर के द्वारा पेश किए जाने के दौरान आरएसएस ने डॉक्टर अंबेडकर के पुतले तक जलाएं और खुलकर विरोध किया। जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है। 

इसी बीच अमित शाह के द्वारा भरी संसद में डॉ अंबेडकर को नीचा दिखाने की जो कोशिश की गई है। यह निंदा करने योग्य है। भारत की शोषित पीड़ित 85% जनता डॉ अंबेडकर को बाबा साहब कहती है। बाबा का मतलब होता है "पिता"। मराठी में पिता को बाबा कहते हैं। बाबा साहब के प्रति इस शोषित पीड़ित जनता के मोहब्बत का आप अंदाजा लगा सकते हैं की बाबा साहब को मानना और उन्हें मोहब्बत करना उनके लिए कोई फैशन नहीं बल्कि एक पैशन है। क्योंकि यह पीड़ित जनता यह मानती है कि आज जो वह बराबरी, शिक्षा, पानी का अधिकार उन्हें मिला है. वह सिर्फ बाबा साहब के संघर्षों के परिणाम से मिला है। वैसे बाबा साहब देश में ही नहीं पूरे संसार में यह स्थान रखते हैं कि उनका कोई भी अदना सा व्यक्ति अपमान नहीं कर सकता। उनकी शान में गुस्ताखी नहीं कर सकता। लेकिन अमित शाह के द्वारा बेहूदे शब्दों का प्रयोग करना। दरअसल भारत की उस पीड़ित शोषण 85% जनता का अपमान है। जो उन्हें अपना पिता मानती हैं। जिस अपमान को वह जनता महसूस कर रही है और आक्रोशित है। इस पर भी बेहूदगी यह देखिए कि भारतीय जनता पार्टी और दूसरे मामलों की तरह एक मामले को दबाने के लिए दूसरा मामला अपने गोदी मीडिया के माध्यम से ठोकती है। यह प्रयास यहां पर भी किया जा रहा है। राहुल गांधी के धक्का देने के मामले को इतना उठाया जा रहा है ताकि अमित शाह वाले बयान के मामले को ठंडा कर दिया जाए।

जाति वादियों द्वारा डॉक्टर अंबेडकर का अपमान करना एक आम बात है। लेकिन किसी संवैधानिक पद पर बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह से 85% जनता को अपमानित करना निश्चित रूप से दुर्भाग्य जनक है। बार-बार यह तर्क दिया जा रहा है कि उनके वीडियो को ए आई द्वारा बनाया गया है। फाल्स वीडियो है। जबकि सच्चाई यह है कि लोगों ने सांसद टीवी पर अमित शाह को ऐसा बोलते देखा है और वही वीडियो वायरल हो रहा है। हालांकि 11 सेकंड के इस वीडियो को अगर आप पूरा देखते हैं तो भी आप बाबा साहब के बारे में अपमानजनक बात किए जाने को इनकार नहीं कर सकते।

इस आलेख को लिखे जाने तक अमित शाह ने न तो अपने बयान का खंडन किया है न ही अपने बयान पर खेद व्यक्त किया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की सत्ता का नशा सर चढ़कर बोल रहा है और कहते हैं कि जब सत्ता का नशा सर चढ़कर बोलता है तो नशा उतरने में देर नहीं लगती है। काश इस बीच प्रधानमंत्री मोदी जी जो लोगों के बीच अपने आप को पिछड़ा वर्ग का बताते हैं। सामने आते और देश से माफी मांगते। अमित शाह को मंत्री पद से बाहर करते। लेकिन ऐसा करना भारतीय जनता पार्टी की फितरत में नहीं है।

Dr. Ambedkar did not light a lamp in some rooms, it is still dark there.

डॉ अम्बेडकर ने कुछ कमरों में दिया नहीं जलाया, वहां आज भी अंधेरा है।


(बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी के परिनिर्वाण दिवस 6 दिसंबर पर अनभिज्ञ प्रश्न से साक्षात्कार)

 बीरेंद्र ढीढी, रायपुर, छत्‍तीसगढ़

              कई हमारे प्रिय साथीगण कहते है कि बाबा साहब अम्बेडकर ने हमारे लिए क्या किया है।  मै केवल उन बातों की जानकारी देना चाह रहा हूं जो बाते या नियम को अम्बेडकर साहब ने भारतीय संविधान में नहीं लाए या केवल आंशिक रूप से जगह दिया या कठोर नहीं बनाया या परिस्थिति वश छोड़ दिया , वह बाते या नियम आज भी ठोस रूप में लागू नहीं हुआ या विवादग्रस्त स्थिति में आज भी है अर्थात डॉ अम्बेडकर ने जिस कमरे में दिया नहीं जलाया वह कमरा आज भी अंधेरा है। वह अंधेरा कमरा या कक्ष निम्नलिखित है।

       1  पहला कमरा जिसे समझना जरूरी है। राज्यसभा सदस्य बनने के लिए राज्यसभा में आरक्षण का व्यवस्था नहीं है। इसलिए सत्तासीन पार्टी प्रमुख, अपने लोगो को राज्यसभा में जनता के विचार के विपरीत और राज्य से बाहर के लोगों को नामित कर देती है। छत्तीसगढ़ में कई वर्षों से अनुसूचित जाति के लोगों को राज्यसभा का सदस्य नहीं बनाया है जबकि राज्यसभा की सीट अनुसूचित जाति से रिक्त हुआ था। बाबा साहब ने राज्यसभा में आरक्षण का व्यवस्था नहीं दिया है इसलिए हमें राज्यसभा में जाने के लिए पार्टी प्रमुख पर निर्भर रहना पड़ता है। हम साधिकार दावा  नहीं कर सकते कि हमें राज्यसभा में सदस्य बनाया जावे क्योंकि बाबा साहब अम्बेडकर ने इसे आरक्षण के संवैधानिक दायरे में नहीं रखा है , इस विषय को लोगो और पार्टी के विचाराधीन रखा। बाबा साहब ने इस पर टिप्पणी नहीं किया । इसलिए राज्यसभा के आरक्षण के संबंध कुछ नहीं कहा अर्थात उस कमरे में दिया नहीं जलाया , आज भी अंधेरा है। हम राज्यसभा में उचित प्रतिनिधित्व से आज भी वंचित रह जाते है।

        2  जाति विहीन समाज बनाने के लिए डॉ अम्बेडकर ने कमजोर लोगो के लिए आरक्षण की व्यवस्था किए , अंतर्जातीय विवाह को प्रोत्साहन करने की नियम बनाए , ताकि कमजोर लोग सक्षम और ताकतवर लोगो के सामने बराबरी में खड़ा हो सके परन्तु इसे शासन और प्रशासन के द्वारा दृढ़ता से लागू नहीं किया गया । लागू नहीं होने के कारण आज भी सरकार को मजबूरी वश आरक्षण में बैकलॉग जारी करना पड़ता है। जातिवादी लोगों पर सजा की कठोर नीति लागू नहीं होने के कारण जातिवादी मानने वाले लोग, सर उठा कर आज भी तथाकथित कमजोर लोगो के सर पर मूत्र विसर्जन कर रहे है और हमारी बहु बेटियों पर अंतिम स्तर का अत्याचार करते है। बाबा साहब ने, भविष्य में लोग समझेंगे और स्वीकार करेंगे कहकर इस विषय पर कठोर कानून नहीं बनाया । आज भी वह कमरा अंधेरा है।

        3   धार्मिक स्वतंत्रता को संविधान में जगह दिया गया है और व्यक्तिगत धार्मिक स्वतंत्रता के लिए अपने इच्छानुसार धर्म ग्रहण करने की नियम को स्थान देकर धार्मिक बंधन की कुटिल प्रथा की बेड़ियां को तोड़ने के लिए और धार्मिक अंधता के प्रति जागरूक करने के नियम बनाए है। मेरा मानना है कि इसलिए बहुत पहले , मनुस्मृति को तो बाबा साहब ने जलाए लेकिन अन्य कई धर्म के ग्रंथों में छुआछूत और जाति का उल्लेख है जिनका समाज में पठन पाठन और पालन होते रहा है  लेकिन, उन तथाकथित धार्मिक ग्रंथों पर जो मनुस्मृति के समकक्ष कुछ बाते लिखी गई है, पाबंदी लगाने का कानून नहीं बनाया गया। जाति विहीन समाज और  स्वतंत्र धार्मिक विचार बनाने के लिए , संवैधानिक बातों का आंशिक रूप से पालन तो हुआ परन्तु भारतीय समाज आज भी  कुंठित जातिवाद को सिर पर ढोकर चल रहा है और तार्किक धर्म से बहुत दूर है , इसलिए जातिवाद और धार्मिक प्रपंच आज भी निरंतर जारी है। आज हम सरलता से किसी धर्म को अपना नहीं सकते और न ही किसी धर्म को छोड़ सकते है और हम कोई नया धर्म भी नहीं बना सकते। अल्पसंख्यक के ऊपर जुल्म का आलम यह है कि शव को भी श्मशान घाट में जलाना प्रतिबंधित कर रहे है और सामाजिक बहिष्कृत का सामना करना पड़ता है।बहुत कड़ा कानून बनाने की जरूरत थी , जिससे इन प्रताड़ित लोगों पर अत्याचार होना रुक सकता था, परन्तु बाबा साहब ने सोचा भविष्य में वे लोग समझेंगे। परन्तु वे लोग नहीं समझे इसलिए आज भी  वह कमरा अंधेरा है जिसमें बाबा साहब ने दिया नहीं जलाया। परिणामस्वरूप आज ,सजा संपूर्ण भारत के अनुसूचित जाति और जन जाति एवं अल्पसंख्यक को मिल रहा है। अब पिछड़े वर्ग भी शामिल है।

            4  भारत में निजीकरण का प्रचंड प्रभाव की ओर बढ़ना। हमारा शोषित समाज ,संवैधानिक नियम की सहारा लेकर प्राप्त अधिकार ,चाहे वह सरकारी नौकरी हो या आरक्षण से प्राप्त राजनैतिक सत्ता हो ,सभी प्रकार के साधनों का उपयोग करके मानवीय विकास की ओर बढ़ रहे थे। विगत 30 वर्षों से निजीकरण देश में हावी हो रहा है और सबसे ज्यादा प्रभावित अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के लोग हो रहे है क्योंकि सरकारी नौकरी में आरक्षण के बदौलत  जो लोग पदस्थ होते थे , वह रुक सा गया है क्योंकि निजीकरण संस्था में आरक्षण लागू नहीं है। दूसरी तरफ राजनैतिक आरक्षण , दलगत स्थिति और पार्टी प्रमुख पर निर्भर करता है कि कौन प्रतिनिधि बनेगा , उस पर हमारा अधिकार नहीं है। बाबा साहब के समय कुछ गिने चुने उद्योगपति हुआ करते थे , इसलिए संविधान में कुछ सीमित प्रावधान बनाए जिससे निजीकरण को रोका नहीं जा सकता था। परन्तु आज की परिस्थिति के अवलोकन करने से लगता है कि सरकारी संस्था को वित्तीय हानि दिखाकर निजीकरण में डालना ,स्वतंत्र भारत के नागरिक के विकास के विरुद्ध है। भारत में स्कूलों का निजीकरण होना तो ,सामाजिक स्तर पर और आर्थिक स्तर पर पिछड़े लोगों के ऊपर सबसे बड़ा प्रहार है , उन वर्ग के लोगों के भविष्य की कमर तोड़ने के लिए , उनके बच्चे किसी भी स्तर के शिक्षा को ग्रहण न कर सके और आगे न आ सके इसलिए निजीकरण की प्रचंडता दिखाई दे रहा है। बाबा साहब ने कुछ नियम रखे लेकिन निजीकरण को रोकने में प्रयाप्त नहीं थे। इसलिए बाबा साहब ने जो कमरे में दिया नहीं जलाया वह आज भी अंधेरा है।

           5 भारत के राष्ट्रीय सीमा के संबंध में ठोस कानून नहीं होने के कारण भारतीय सीमा सुरक्षित नहीं है, कभी पाकिस्तान, कभी चीन, कभी बांग्लादेश भारतीय सीमा का आज भी अधिग्रहण और उल्लंघन करते रहते है। बाबा साहब ने तत्कालीन समय में भारतीय सीमा के संबंध में कोई ठोस कानून नहीं बनाए क्योंकि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए तत्कालीन प्रधान मंत्री और गृह मंत्री के अधीन थे। बाबा साहब ने इस कमरे में भी दिया नहीं जलाया , वह आज भी अंधेरा है।

              मेरे प्रिय साथियों यह कुछ थोड़े से बिंदु के माध्यम से मैने यह बताने की कोशिश किया कि वह कुछ बाते जिसे बाबा साहब ने छोड़ रखे थे या आंशिक रख कर या परिस्थिति वश भविष्य पर छोड़ दिए थे ,वह आज भी अधूरा है । लोकसभा में 131 सासंद आरक्षण से है परंतु अभी तक इन उपरोक्त मुद्दों पर सवाल नहीं करते या बिल पेश नहीं करते जिसमे बहस होती और कानून का रूप धारण करती। एक बिंदु भारतीय सीमा का विषय राष्ट्रीय मुद्दा है और अन्य चार मुद्दा का विषय अनुसूचित जाति ,अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग और अल्पसंख्यक के हित से संबंधित है ,  इन चार मुद्दों के लिए सही कानून नहीं बनाने से और लागू नहीं होने के कारण इन वर्गों के लोगों  को कितना विषम परिस्थिति का सामना आज भी करना पड़ता है । इसीलिए मैने कहा कि जिस कमरे में बाबा साहब ने दिया नहीं जलाए वह कमरा आज भी अंधेरा है। इन कमरों में रोशनी के लिए हमें एकजुट होकर संघर्ष करना चाहिए।

              डॉ बाबा साहब भीमराव अंबेडकर जी ने अकेले विषम परिस्थिति और विषम लोगो से लड़कर हमे संवैधानिक अधिकार देकर सम्मान की जिंदगी जीने का अवसर दिया है। ऐसे महामानव को कोटि कोटि नमन करते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।

                    बीरेन्‍द्र कुमार ढीढी

                आपका बीरेंद्र ढीढी भोरिंग एवं रायपुर