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”सुदर्शन समाज की आम्बेडकरी आंदोलन में भागीदारी और दलित मित्र राम रतन जानोरकर”

प्रेस विज्ञप्ति




8 जून 2014 को छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के खचाखच भरे वंन्दावन भवन, सिवील लाईन में दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन कि ओर से एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। यह संगोष्ठी ”सुदर्शन समाज की आम्बेडकरी आंदोलन में भागीदारी और दलित मित्र राम रतन जानोरकर” विषय पर केंद्रित था। मुख्य वक्ता श्री सुनील चौहान मुंबई, श्री हरीश जानोरकर और उमेश पिंपरे नागपुर, श्री भरत लाल छडिले एवं राजकुमार समुंद्रे बिलासपुर, श्री विश्वास मेश्राम भिलाई और श्री जय गोविंद बेरिहा रायपुर थे।



इस संगोष्ठी का कुशलता पूर्वक संचालन श्री शुभ्रांशु हरपाल जीने किया। सर्वप्रथम श्री संजीव खुदशाह जो दलित मुव्हमेंट एसोसियेशन के राज्य संयोजक है, ने ऐसोसियेशन के क्रियाकलापों का परिचय दिया कि किस प्रकार यह ऐसोसियेशन छोटी-छोटी गुमनाम दलित जातियों जैसे डोम,डोमार, हेला, मखियार, लालबेगी एवं खटीक के बीच कार्य कर रही है एवं उनमें दलित आंदोलन का प्रचार कर रही है। उन्होने यह भी बताया की ”सुदर्शन समाज की आम्बेडकरी आंदोलन में भागीदारी और दलित मित्र राम रतन जानोरकर” विषय पर परिचर्चा करने की जरूरत क्यो है? उन्होने बताया की डोम डुमार हेला मखियार आदि जातियों ने मिल कर सन् 1965 के आसपास वाल्मीकि समाज की तर्ज पर एक नया गुरू खोज निकाला और सुदर्शन समाज का गठन किया! इस कारण यह समाज आज आंबेडकरी आंदोलन से दूर है। प्रमुख वक्ता -श्री सुनील चौहान ने बताया की किस प्रकार डाँ आम्बेडकर अपने दलित पिछड़े समाज के उत्थान के लिए समर्पित थे की वे अपनी पत्नि और बच्चो को समय नही दे पाते थे। और उनकी पत्नी रमाबाई को कष्ट में जिंदगी बिताना पडा कुपोषण के कारण उनके बच्चों की असमय मौत हो गई। हमें रमाबाई के त्याग को कम करके नह देखना चाहिए। उनके मदद के कारण ही




डॉ आम्बेडकर समाज के लिए कुछ कर सके। श्री भरत छडिले ने बाबासाहेब के द्वारा बनाये कानून हिन्दू कोड बिल पर प्रकाश डालते हुऐ कहा यह कोड बिल सभी के पक्ष में है सिवाय ब्राम्हण के। जय गोविंद बेरिहा ने सुदर्शन समाज में व्याप्त बुराई पर चर्चा की। राजकुमार समुंद्रे ने बताया कि किस प्रकार दलित मुव्हमेंट के प्रयासों सुदर्शन समाज में अंबेडकरी आंदोलन का प्रसार हो रहा है। नागपुर के श्री हरीश जानोरकर ने अपने वक्त्वय में पूर्व महापौर नागपुर स्व- राम रतन जानोरकर के जिंदगी के संस्मरण को साझा वे कहते है मेरे समाज का महापौर ऐसा है जो पूरी जिंदगी टीन से बने घर में रहता है। जहां एक पार्षद लक्जरी गाड़ियों में घूमते है। वही श्री उमेश पिंपरे ने नागपुर विकास समिति नागपुर के क्रिया कलापों पर चर्चा की और बताया की वे किस प्रकार नागपूर एवं पूरे विदर्भ में सुदर्शन वाल्मीकि समाज के आंबेडकरी आंदोलन का प्रचार प्रसार कर रहे है और लोगो में शिक्षा का प्रसार कर रहे है।


कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे श्री विश्वास मेश्राम ने कहा बाबासाहेब की सोच बहुत व्यापक थी उनके बारे में व्यापक दायरे में सोचने कि आवश्यकता है। उन्होने कहा संजीव खुदशाह और उनकी डी एम ए की टीम बधाई की पात्र है कि 47 सेंटीग्रेड तापमान पर काम करके लोगो को इस कार्यक्रम में भाग लेने हेतु प्रेरित किया। उन्होने कहा आज का दिल सार्थक हुआ। कई नई जानकारियों से आज वास्ता हुआ। आज जरूरत है सभी दबी कुचली जातियों एक हो जाये न की अपनी अपनी लडाई अलग अलग लडे। तभी बाबा साहेब का सपना सच हो सकता है। वे पूरी मानव जाति को एक होते देखना चाहते थे।


इस प्रकार धन्यवाद ज्ञापन करते हुए श्री संजीव खुदशाह ने सभी को चाय हेतु आंमंत्रित किया।


भवदीय

(सचिन खुदशाह)
प्रचार प्रभारी
दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन
छत्तीसगढ़ इकाई
मोबाईल 09907714746

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