प्रेस विज्ञप्ति
डॉ. बी.आर.आम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर 8 से 14 अप्रेल 2016 तक ''आजादी महोत्सव-2016'' (फ्रीडम फेस्टिवल-2016) संपन्न
छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति का आयोजन
रायपुर दिनांक 21/04/2016। छत्तीसगढ़ नागरिक संयुक्त संघर्ष समिति द्वारा डॉ. बी.आर.आम्बेडकर की 125वीं जयंती के अवसर पर ''आजादी महोत्सव-2016'' (फ्रीडम फेस्टिवल-2016) का आयोजन लोकायन भवन, प्रेस काम्पलेक्स, रजबंधा मैदान, रायपुर में सम्पन्न हुआ। राज्य में लम्बी अवधि का संभवतः ये पहला आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उन सभी मुद्दों को छुआ जिस पर पहले कभी इतने बड़े मंच पर चर्चा नहीं हुई। इस आयोजन का असल मकसद संविधान की मूल भावना के अनुरूप भारत के विभिन्न समुदाय, विचारधाराओं के बीच दूरी को कम करना तथा आजादी की सही परिभाष एवं उसका अर्थ अंबेडकरवादी और मूलनिवासी दृष्टिकोण रखने का था। कार्यक्रम के उद्धाटन सत्र में डॉ. बी.आर.आम्बेडकर के परिपे्रक्ष्य में आजादी के मायने विषय पर व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में कॉ. वासुदेव सुनानी उपस्थित थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. आर. के. सुखदेवे ने की। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोल्डी एम जार्ज व स्वागत भाषण जाति उन्मुलन आंदोलन छत्तीसगढ एवं आजादी महोत्सव 2016 के संयोजक संजीव खुदशाह ने की। इस अवसर पर सावित्री बाई फुले शिक्षण संस्थान के बच्चों द्वारा पंथी नृत्य प्रस्तुत किया गया एवं जय भीम कॉमरेड फिल्म का प्रदर्शन किया गया।
दूसरे दिन प्रथम सत्र में महिलाओं के लिए आजादी के मायने- नारीवादी दृष्टिकोण से, मुद्दे चुनौतियां एवं भविष्य के लिए नीति पर पैनल चर्चा का आयोजन किया गया। जिसमें वक्ता के रूप में सामाजिक कार्यकर्ता शशि सायल, वकील सुधा भारद्वाज, सामाजिक कार्यकर्ता अंजु मेश्राम, कुमुद नांदगवे व चंद्रिका ने अपने विचार रखे। वकील सुधा ने अपने उद्बोधन में कहा कि समानता, पित्र सत्ता का विरोध, सैन्यीकरण से महिलाओं पर अत्याचार किया जा रहा है। शशि सायल ने कहा कि आजादी के सत्तर साल बाद भी महिलाओं को आजादी नहीं मिला है। अंजु मेश्राम ने कहा कि महिलाओं को शिक्षित होना बहुत जरूरी है शिक्षा के द्वारा ही महिला शसक्तिकरण संभव होगा।संचालन दुर्गा झा ने किया। द्वितीय सत्र में धार्मिक स्वतंत्रता और अपल्पसंख्यकों के अधिकार, जमीनी सच्चाईयां विषय पर पैनल चर्चा में वकील शाकिर कुरैशी, वकील सादिक अली, अरूण पन्नालाल, अखिलेश एडगर व सुस्मिता प्रधान ने अपने विचार रखे। तीसरे दिन प्रथम सत्र में आदिवासी और संसाधनों के बीच अन्र्तद्वंद पर पैनल चर्चा में मानवाधिकार सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोढी ने बस्तर में आदिवासियों पर हो रहे अत्याचार व दमन के लिए सैन्यीकरण को जिम्मेदार बताया। साथ ही अपने उपर हुए हमले कि विषय में विस्तार से अपनी बात रखी। आदिवासी समता मंच की इन्दू नेताम ने आजादी बनाम गुलामी, आदिवासी संस्कृति बनाम पाश्चात्य संस्कृति और संसाधनों की लूट,अत्याचार, दमन,शोषण पर वक्तव्य रखा। कार्यक्रम का संचालन डॉ. गोल्डी एम जार्ज ने किया। द्वितीय सत्र में मजदूर वर्ग और खेत मजदूर, आजादी बनाम दमन विषय पर व्याख्यान में प्रो. युगल किशोर रायलू, कॉ. धर्मराज महापात्रा, कॉ. सौरा यादव व कॉ. हेमा भारती ने मजदूरों की समस्याओं पर विस्तार से अपनी बात रखी। कार्यक्रम का संचालन व आभार कॉ. तुहिन ने किया। कॉ. युगल किशोर ने कहा कि भूमि सुधार कानून होना चाहिए,संसाधनों का राष्टीयकरण बहुत आवश्यक है। मजदूर किशान वर्ग में एकता स्थापित करके व्यवस्था के खिलाफ लड़ा जा सकता है। कॉ. धर्मराज ने कहा कि सामाजिक आर्थिक असमानता दूर नही होगी तो इस आजादी का मतलब क्या है। आजादी की लौ हर दिल में जलना चाहिए। कॉ. सौरा ने कहा कि घाटे का सार्वजनकीकरण व मुनाफे का नीजिकरण करना बंद करना होगा तभी मजदूरों की समस्या का हल निकलेगा।कॉ. तुहिन ने कहा कि इस देश को पहचांन की राजनीति कर बांटा जा रहा है, इस देश में दो हिन्दुस्तान हैं एक अमीरों का तो दूसरा गरीबों का, ये स्थितियां बदलनी चाहिए। चैथे दिन महात्मा फुले जयंती के अवसर पर बहुुजन आंदोलन में पिछड़ा वर्ग का योगदान आजादी के परिप्रेक्ष्य में विषय पर पैनल चर्चा में विष्णु बघेल, सूरज निर्मलकर, सौरा यादव व टीकाराम साहू ने अपने विचार व्यक्त किए। पांचवें दिन भारत में भूमंडलीकरण और फासीवाद कि दौर में मानवाधिकार और लोकतंत्र का सवाल पर पैनल चर्चा में ख्यातिप्राप्त एडवोकेट व सामाजिक कार्यकर्ता राजेन्द्र शायल, कृषि वैज्ञानिक व सामाजिक कार्यकर्ता डा. संकेत ठाकुर, मानवाधिकार कार्यकर्ता कॉ. नंद कश्यप पी यु सी एल के अध्यक्ष कॉ. लाखन सिंह ने मानवाधिकार हनन व जनता के अधिकारों के हनन के विभिन्न मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की। कॉ. नंद ने कहा कि आज का नौजवान बेरोजगारी पर सवाल उठाने का साहस नहीं करता क्योंकि बाजारवाद ने विचारों की शक्ति खत्म कर दी है। तकनीक पर समाज का नियंत्रण होना जरूरी है यदि ये पूंजीपति के हाथ में चली गई तो समाज नहीं बचेगा। राजेन्द्र सायल ने कहा कि लोकतंत्र में विरोध प्रकट करने का स्थान खत्म होते जा रहा है। कॉ. लाखन सिह ने राज्य में मानवाधिकार हनन की स्थिति पर चिंता जाहिर करते हुए बताया कि आपफ्सा से अधिक कडे़ कानून बस्तर में है। कार्यक्रम का संचालन डा. एम.गोल्डी जार्ज ने किया। इस अवसर पर क्रांतिकारी सांस्कृतिक मंच छत्तीसगढ की राज्य संयोजक चंद्रिका ने माटी के मितान चल मजदूर अउ किसान जनगीत प्रस्तुत किया। छठवें दिन शिक्षण संस्थानों में हासिये के समुदायों के विधार्थियों का संघर्ष विषय पर पैनल चर्चा की अध्यक्षता देशबंधु समाचार पत्र के प्रधान संपादक ललित सुरजन ने की। मुख्य वक्ता के रूप में छात्र जयपाल हसदा, जोबा हसदा, छात्रा बबीताराज तिर्की, प्रियंका शुक्ला व स्वाती मानव ने वर्तमान परिस्थितियों में शिक्षा के स्वरूप, शिक्षा के भगवाकरण व व्यवसायीकरण पर विस्तार से अपनी बात रखी। सत्र का संचालन जोबा हस्दा ने किया। अध्यक्षीय उद्बोधन देते हुए देशबंधु समाचार पत्र के प्रधान संपादक ललित सुरजन ने कहा कि विचारों की पूंजी हमारे पास है, सोचने की क्षमता है, उसको जागृत करने की जरूरत है। क्षात्रों के बीच लाईब्रेरी संस्कृति खत्म होती जा रही है इसको बढावा देने की आवश्यकता है। राजनीतिक परिवर्तन की बात करने वालो पर रोक लगाई जा रही है। सामाजिक संस्थाओं पर रोक नही लेकिन विचार की बात करने पर रोका जाता है। नई पीढी के साथ संवाद स्थापित करने पर बल दिया। स्वाति ने कहा कि शिक्षा का व्यवसायीकरण बंद होना चाहिए।
अंतिम दिन पहले सत्र में सफाई कामगार समाज (महादलित) की अंबेडकरवादी आंदोलन में भागीदारी विषय पर पैनल चर्चा में वक्ता के रूप में डॉ. मुकेश हेला, संजीव खुदशाह,विक्रम त्यागी व सचिन खुदशाह ने अपने विचार विस्तार से रखे। समापन सत्र में न्याय, समानता और स्वतंत्रता के लिए अम्बेडकर के बाद जाति विरोधी आंदोलन का संघर्ष विषय पर पैनल चर्चा की गई। जिसमें वक्ता के रूप में रतन गोंडाने, संजीव खुदशाह, रेखा गोंडाने व डॉ. गोल्डी एम जार्ज ने भाग लिया। विक्रम त्यागी ने कहा कि समाज में सफाई कर्मियों के प्रति लोगो को नजरिया बदलना होगा।शिक्षा के अभाव में हमारे समाज का विकास पीछे छूट गया। डॉ. मुकेश हेला ने कहा कि जाति व्यवस्था खत्म किये बिना समाज नहीं बदल सकता। शिक्षा के बल पर ही समाज विकसित होगा इसकी शुरूआत अपने घर से करना चाहिए। समापन सत्र में गोल्डी ने कहा कि बाबा साहेब ने जाति उन्मुलन का मार्ग दिखाया, न्याय, स्वतंत्रतेा,मुक्ति व समानता की ज्योति जलाना जरूरी है। संजीव ने कहा कि जाति वाद के खात्में के लिए पूंजीवाद से लड़ना होगा। डॉ़ बाबा साहब के शब्द नही दिशा पकड़ने की जरूरत है। रतन गोंडाने ने कहा कि सफलता समानता पर कुठाराघात किया जा रहा है।
पूरे कार्यक्रम की विशेषता रही कि प्रत्येक सत्र में उसी खास समुदयों से आने वाले या उस खास मुद्दे पर काम करने वाले प्रसिद्ध व्यक्तियों ने हिस्सा लिया जिससे सभी हासिये के समुदायों को जानने समझने का अवसर उपस्थित जनों को मिला। कार्यक्रम में अन्तर्राष्टीय ख्यातिप्राप्त फिल्म निर्देशक आनंद पटवर्घन की जय भीम कॉमरेड,जब्बार पटेल निर्देशित डॉ. अम्बेडकर,श्याम बेनेगल कृत समर, फूल नहीं चिंगारी है छत्तीसगढ की नारी है आदि फिल्म का प्रदर्शन भी किया गया। साथ ही कला संध्या में लोक नृत्य, पंथी नृत्य, जनगीत,सुगम संगीत व मिमिक्री का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में कॉ.चंद्रिका, अंजु मेश्राम, कॉ.तुहिन, गोल्डी एम जार्ज, राजु गणवीर, विक्रम त्यागी, राजु शेन्द्रे, विष्णु बघेल, अखिलेश एडगर, शाकिर कुरैशी, दीपिका, दुर्गा मैडम, कुमुद नांदगवें, निसार अली एवं संजीव खुदशाह का प्रमुख योगदान रहा। इस अवसर पर बडी संख्या में अम्बेडकरवादी, दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यक समुदाय, बहुजन, मजदूर, मेहनतकश, किसान, युवा, विद्यार्थी, वामपंथी एवं प्रगतिशील बु़द्धजीविगण उपस्थित थे।
रविन्द्र यादव
मीडिया प्रभारी
अजादी महोत्सव 2016
फोन -
प्रति,
संपादक
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