सामाजिक बहिष्कार रोकथान अधिनियम के हम समर्थन
मे है।
संजीव खुदशाह
कार्यकारी संयोजक
जाति उन्मूलन आंदोलन
सामाजिक प्रताडना एवं बहिष्कार की रोकथाम के
लिए प्रदेश में प्रस्तावित छत्तीसगढ सामाजिक बहिष्कार (रोकथाम, निषेध
और निवारण) अधिनियम बनने की प्रकिया शुरू हो गई। इसके लिए बकायदा एक कमेटी भी बन
गई है। दरअसल हाल ही में हुई सामाजिक बहिष्कार की घटनाओं से सरकार को इस बात का
दबाव प्रगतिशील संगठनो के द्वारा बनाया जा रहा था की यहां भी महाराष्ट्र की तर्ज
पर एक समाजिक बहिष्कार रोकथान अधिनियम बने। इसका मकसद तमाम जातियों में चल रहे
जाति पंचायतों में तुगलकी फैसलो एवं न्यायपालिका के अधिकार का हनन करने की
प्रकिया पर अंकुश लगाना है। कानून बनाने के लिए गृह विभाग के सचिव की अध्यक्षता
में प्रारूप समिति का गठन भी कर दिया गया है। सात जून को समिति की पहली बैठक भी हो
चुकी है। छत्तीसगढ़ में सामाजिक बहिष्कार की घटनाएं लगातार सामने आ रही हैं। कभी
अंतरजातीय विवाह तो कभी मृत्युभोज नहीं देने पर तो कभी आरटीआई लगाने पर सामाजिक
बहिष्कार कर दिया जाता है। सामाजिक बहिष्कार के खिलाफ ठोस कानून नहीं होने के कारण
ऐसे मामलों में कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही है। समाजशास्त्रियों का मानना है कि
सामाजिक बहिष्कार व्यक्ति के मानवीय अधिकारों का खुला हनन है। इस पर प्रभावी
नियंत्रण के लिए कानून नहीं होने के कारण ग्राम पंचायत या जातिगत सामाजिक
पंचायतों द्वारा व्यक्ति या परिवार का सामाजिक बहिष्कार कर प्रताड़ित किया जाता
है। आर्थिक व शारीरिक दंड भी दिया जाता है।केंद्र व राज्य के पास आंकड़े भी नहीं
केंद्र व राज्य सरकार के पास सामाजिक बहिष्कार के कितने मामले हैं, इसके
आंकड़े उपलब्ध नहीं है। एक सामाजिक संगठन ने आरटीआई के तहत राज्य शासन से सामाजिक
बहिष्कार के प्रकरणों और इसकी रोकथाम के लिए उपलबध कानून के बारे में जानकारी
मांगी थी। राज्य शासन की तरफ से जवाब निरंक आया। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो
की ओर से भी सामाजिक बहिष्कार के मामलों के आंकड़े उपलब्ध नहीं होने की जानकारी दी
गई है।
इन मुआमले में छत्तीसगढ शर्मिदा है-
1 हरियाणा की खाप पंचायतों की तर्ज
पर रायपुर के टिकरापारा में एक परिवार को समाज से बहिष्कृत करने का मामला सामने
आया है। परिवार के मुखिया शंकर सोनकर का आरोप है कि उन्हें महज इसलिए बहिष्कृत कर
दिया गया, क्योंकि उसने समाज के स्कूल के बारे
में जिला शिक्षा कार्यालय में आरटीआई के जरिए जानकारी मांगी थी।
2 कवर्धा जिले के लोहारा विकासखंड के
ग्राम बचेड़ी के तीन परिवारों से सरपंच ने गांव के सभी लोगों को उनके परिवार के
किसी भी सदस्य से बात न करने का फरमान जारी कर दिया। इनसे कोई भी बात करता है या
किसी प्रकार से मदद करता है तो उससे 25 हजार रुपए अर्थदण्ड लेने और
अर्थदण्ड नहीं देने पर समाज से बहिष्कृत करने की चेतावनी दी गई।
3प्रदेश की समाज कल्याण मंत्री
रमशीला साहू के गांव के तीन परिवार का हुक्का-पानी सालों से बंद है। वो भी सिर्फ
इसलिए कि इनमें से किसी ने बड़ा मंदिर बनवा दिया तो किसी ने उसे पनाह दी, जिसका
हुक्का-पानी पहले से बंद था।
3
रायपुर के ही राजिम के पास ग्राम बेलटुकरी में तेजराम साहु के परिवार द्वारा मुंडन
नही कराये जाने पर करीब 12 सालों तक समाज से बहिष्कृत रखा बाद में संजीव खुदशाह
एवं डॉं दिनेश मिश्र के नेतृत्व में जाति उन्मूलन आंदोलन की टीम द्वारा वहां
जाकर वहां जाकर ग्राम वासियों को प्रेरित करने तथा दोषियों के खिलाफ कानूनी
कार्यवाही का दबाव बनाने पर उनका समाजिक बहिष्कार खत्म किया गया।
महाराष्ट्र में है यह कानून महाराष्ट्र
में कोई भी व्यक्ति किसी व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह का सामाजिक बहिष्कार करता
है तो उसे तीन साल की जेल की सजा हो सकती है। साथ ही उस पर एक लाख रुपए जुर्माना भी लगाया जा
सकता है। यह जुर्माना पीड़ित व्यक्ति को दिया जाएगा। महाराष्ट्र सामाजिक बहिष्कार
को अपराध मानते हुए कानून लाने वाला देश का पहला राज्य है। पीड़ित व्यक्ति स्वयं या
उसके परिवार का कोई भी सदस्य पुलिस या सीधे जज के समक्ष शिकायत दर्ज करा सकता
है।किसी व्यक्ति या परिवार का सामाजिक बहिष्कार किसी भी रूप में जायज नहीं है।
सामाजिक बहिष्कार की त्रासदी पूरे परिवार को झेलनी पड़ती है। इसकी रोकथाम के लिए
कारगर कानून नहीं होने के कारण स्थिति गंभीर होती जा रही है। हम सभी
जनप्रतिनिधियों व सामाजिक संगठनों को इस संबंध में पत्र लिखेंने का आहवान करते है।
साथ साथ यह भी खबर है की कुछ समाजिक एवं जातिगत
संगठनो ने 21 जून को रायपुर में एक बैठक ली है वे ऐसे प्रस्तावित कानून का विरोध
कर रहे है। सोशल मीडिया में इस अधिनियम के विरूध दूषित मौहोल तैयार कर रहे है। गौर
तलब है की पहले से ही प्रताडित पिछडे एवं अत्यंत पिछड्री जातिया ऐसे कानून का
विरोध कर रही है जिन्हे इस वक्त इसकी ज्यादा जरूरत है। हम एवं हमारी संस्था
जाति उन्मूलन आंदोलन समाजिक बहिष्कार कानून का पूरा समर्थन करती है तथा ऐसे कानून
बनने की प्रकिया में हर प्रकार का सहयोग देने के लिए तत्पर है। और आप सभी से ऐसे ही सहयोग की अपेक्षा रखती है।
संजीव खुदशाह
कार्यकारी संयोजक, केन्द्रीय कमेटी
नई दिल्ली
जाति उन्मूलन आंदोलन
No comments:
Post a Comment
We are waiting for your feedback.
ये सामग्री आपको कैसी लगी अपनी राय अवश्य देवे, धन्यवाद