स्वतंत्रता
दिवस पर अंधविश्वास की परछाई
संजीव खुदशाह
Indian Flags |
यह
प्रश्न अटपटा हो सकता है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि 14 अगस्त को पाकिस्तान में आजादी का दिवस मनाया जाता है। इसके
पीछे इतिहास में कुछ कहानियां छिपी हुई है। 1929
में तत्कालीन कांग्रेस के अध्यक्ष पंडित जवाहरलाल नेहरु ने ब्रिटिश शासन से पूर्ण
स्वराज की मांग की थी। उस समय 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के लिए
चुना गया था। अंग्रेजो ने 14 अगस्त को भारत छोड़ने का निर्णय लिया था।
आजाद भारत की पृष्ठ भूमि
Pakistani Flage |
द्वितीय
विश्वयुद्ध (1935 से 1945) के बाद अंतर्राष्ट्रीय संधि के दबाव में ब्रिटिश संसद में लॉर्ड
माउंटबेटन को 30 जून 1948 तक सत्ता का ट्रांसफर करने का अधिकार दिया था। सी राजगोपालचारी
ने इस बारे में कहा था कि यदि वह जून 1948
तक इंतजार करते हैं। तो ट्रांसफर करने के लिए कोई सत्ता ही नहीं बचेगी। इसीलिए 4 जुलाई 1947 को माउंटबेटन भारत को छोड़ने का बिल पेश किया। जिसे 15 दिन में ही पास कर दिया गया। जिसमें यह तय किया गया कि 15 अगस्त 1947 के पहले भारत छोड़ दिया जायेगा।
इस
तरह 14 अगस्त 1947 कि बीती रात को भारत छोड़ने का
निर्णय लिया गया। इसी समय भारत के दो टुकड़े हुए जिसका निर्णय काफी पहले लिया जा
चुका था। और पाकिस्तान में उसी दिन अपने आप को आजाद कर लिया। लेकिन भारत में इस
गुलामी से छुटकारा पाने के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद ने गोस्वामी गणेश दास महाराज के
माध्यम से उज्जैन के ज्योतिष सूर्यनारायण व्यास को हवाई जहाज से दिल्ली बुलवाया और
पंचांग देखकर आजादी का मुहूर्त निकलवाया।
पूरे संसार में यह बिरली घटना है जब किसी ने गुलामी की बेड़ियों
को खोलने के लिए भी ज्योतिष, शुभ-अशुभ, मुहूर्त, अंधविश्वास का सहारा लिया और उसे 1 दिन और अपनी गुलामी में रहना पड़ा।
Pt Jyotish suryanarayan vyas |
ज्योतिष
पंडित सूर्यनारायण व्यास ने 14 तारीख के बजाय 15 तारीख की बीती रात को शुभ लग्न बताया। इस हिसाब से हम
पाकिस्तान से 1 दिन छोटे हो गए.। जो पंचांग बनाया
गया उसमें यह बताया गया कि यदि 15 तारीख को आजाद होते हैं तो भारत में लोकतंत्र,
सुख शांति और प्रगति बनी रहेगी। 75 वर्ष के भीतर भारत विश्व गुरु बनेगा। इतना ही नहीं, पं. व्यास के कहने पर ही स्वतंत्रता
की घोषणा के तत्काल बाद देर रात ही संसद को धोया गया, बाद में बताए मुहूर्त के अनुसार गोस्वामी गिरधारीलाल ने संसद की
शुद्धि भी करवाई।
यह प्रश्न उठता है कि क्या भारत पाकिस्तान से भी ज्यादा लोकतांत्रिक सुख शांति
और प्रगति वाला देश है आइए इसका विश्लेषण करते हैं।
पहला भारत में जिस प्रकार से
संप्रदायीक हत्याएं हो रही है। लिंचिंग जैसी घटनाएं हो रही है। दलित और ओबीसी तथा
अल्पसंख्यको का दमन किया जा रहा है। इंसान को जानवर और जानवरों को माता का दर्जा
दिया जा रहा है। इससे आप भारत में सांप्रदायिक और लोकतांत्रिक स्थिति का अंदाजा
लगा सकते हैं।
पाकिस्तान पाकिस्तान में भी यह स्थिति भारत
के समकक्ष हुई लगती है। वहां भी मारकाट क्षेत्रीयतावाद, महिलाओं का दमन चरम पर है।
और भारत की तरह पड़ोसी देश को नीचा दिखाने के लिए सरकारें आमदा रहती हैं।
दूसरा न्याय व्यवस्था भारत की
न्याय व्यवस्था आज बिगड़ी हालत में बदल चुकी है। कॉलोसियम परंपराओं में अयोग्य
न्यायाधीशों का दबदबा कोर्ट में बढ़ गया है। ईमानदार न्याय प्रिय न्यायाधीशों को
जान से हाथ धोना पड़ रहा है। और बेहद दबाव में यह काम करने के लिए मजबूर है।
वही
पाकिस्तान में न्याय व्यवस्था कुछ मजबूती दिखाई पड़ती है। जहां पर पूर्व
राष्ट्रपति को 1 घंटे खड़े रहने की सजा दी जाती है।
तो दूसरी ओर पूर्व प्रधानमंत्री को पनामा केस में सजा दी जाती है। उसी पनामा केस
की भारत में फाइलें बंद की जा चुकी है।
तीसरा भारत
में जिस प्रकार से प्रेस मीडिया को दबाव में रखा जा रहा है और सोशल मीडिया को
कंट्रोल किए जाने की कोशिश हो रही है। इससे नहीं लगता कि लोकतंत्र ज्यादा दिन नहीं
टिक पाएगा।
वहीं
दूसरी ओर पाकिस्तान में गलत कामों के लिए मीडिया में अपने प्रधानमंत्री का
मजाक बनाना एक आम बात होती है।
चौथा भारत में शिक्षा व्यवस्था
बेहद खस्ता हाल में पहुंच चुकी है। हजारों स्कूलों को बंद किया जा चुका है। आठवीं
तक बिना पढ़े पास होने का फरमान जारी है। ऐसी स्थिति में आप समझ सकते हैं कि आम
भारतीय की शिक्षा की स्थिति क्या होगी ठीक यही स्थिति पाकिस्तान में भी है।
पांचवा ग़रीबी भारत में गरीबी और
विकासशील देशों की सूची में काफी पीछे है। 5
जून 2016 जनसत्ता में छपी खबर के मुताबिक भारत को विकासशील देशों
की सूची से हटाकर पाकिस्तान और बांग्लादेश के साथ लो और इनकम वाली सूची में रखा
गया है। इससे आप भारत की गरीबी का अंदाजा लगा सकते हैं।
यह
चंद आंकड़े हैं जो यह बताने के लिए काफी है कि पंडित ज्योति सूर्यनारायण व्यास की
भविष्यवाणी और उनका पंचांग कहां तक सही है।
रही
बात भारत के विश्व गुरु बनने की तो शिक्षा की स्थिति के आधार पर यह कहना
हास्यास्पद है। मुझे लगता था कि आज के समय में भारत अपनी अंधविश्वास से निजात पाएं
और स्वयंभू विश्व गुरु बनने के दावा से बाहर निकलें।
यह
यह प्रश्न मुंह बाए खड़ा है दुनिया की 100
सर्वश्रेष्ठ विश्वविद्यालय की सूची में हमारा एक ही विश्वविद्यालय शामिल क्यों
नहीं है? दुनिया के अविष्कारों में भारत का
एक भी अविष्कारक नहीं है।
हमें
अपनी आत्ममुग्धता की बीमारी से निजात पाने की जरूरत है । तभी सही मायने में भारत
आजाद कहलाएगा। नहीं तो गुलामी का एक दिन कई हजार सालों के बराबर होगा।
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