सभी शासकीय विभागों में अनारक्षित बिंदु पर पदोन्नति जारी होने से अनुसूचित जाति व जनजाति के संवैधानिक हितों की हो रही है अनदेखी
VINOD KOSHLE |
छत्तीसगढ़ राज्य के सभी विभागों में पदोन्नति सूची लगातार जारी हो रही है। माननीय उच्च न्यायालय द्वारा पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के उपनियम 5 को 2 माह के लिए स्टे प्रदान किया गया था। राज्य शासन के महाधिवक्ता द्वारा कोर्ट में पदोन्नति में आरक्षण नियम 2003 के उपनियम 5 में आंशिक त्रुटि माना था और इसे युद्ध स्तर पर संशोधन कर नियम प्रतिस्थापित कर नए नियम फ्रेम करने कोर्ट में कहा था । कोर्ट में सुनवाई 16 अप्रैल के लिए निर्धारित की गई थी । 21 मार्च से कोरोना के वजह से लॉक डाउन की स्थिति निर्मित हो गई । पदोन्नति में आरक्षण केस की सुनवाई आगे नहीं बढ़ पाई और आज पर्यंत कोर्ट में विचाराधीन है। लॉक डाउन की स्थिति में सभी विभागों ने लगातार अनारक्षित बिंदु पर पदोन्नति देना शुरू कर दिया है जबकि छत्तीसगढ़ पदोन्नति नियम 2003 के उप नियम 5 पर ही रोक लगी है बाकी सारी कंडिकाएं अभी भी लागू हैं । विभागों में रिक्त पदों को अनारक्षित श्रेणी में ही भरने के लिए किसी भी प्रकार के पदोन्नति नियम नहीं बने है।*अनुसूचित जाति जनजाति रोस्टर बिंदु रोक का मतलब एससी एसटी के पदों को खत्म करना नहीं है बल्कि विद्यमान पदोन्नति नियमों के अनुसार रिक्त पदों को अनारक्षित ,अनुसूचित जाति व जनजाति श्रेणी में बांटकर पदोन्नति देते हुए अनुसूचित जाति व जनजाति के पदों को सुरक्षित रखना चाहिए था। इस तरह नियमों का पालन विभागों द्वारा नही किया जा रहा है। सोशल जस्टिस लीगल सेल के द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग , मुख्य सचिव छत्तीसगढ़ शासन व डीजीपी पुलिस मुख्यालय नवा रायपुर को तीन बार पत्र के माध्यम से अवगत कराया जा चुका है। इसके बावजूद सारे पदों पर अनारक्षित बिंदु में पदोन्नति देने की कार्यवाही अनवरत जारी है । विभागों द्वारा समस्त पद अनारक्षित श्रेणी में भरना अनुसूचित जाति व जनजाति के संवैधानिक अधिकारों का हनन है। इसके साथ ही सभी विभागों को पदोन्नति नियम 2003 के नियमानुसार बैकलॉग पदों पर भी पदोन्नति प्रदान करनी थी। छत्तीसगढ़ शासन द्वारा छ ग.लोक सेवा पदोन्नति नियम 2003 के उप नियम को 5 को नए सिरे से प्रतिस्थापित करना प्रक्रियाधीन है। लगातार पदोन्नति अनारक्षित बिंदु पर भरने से अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए रिक्त पद नहीं बच पाएंगे।परिणामस्वरूप अनुसूचित जाति और जनजाति के अधिकारी कर्मचारियों को पदोन्नति के लिए कई वर्ष इंतजार करने पड़ सकते हैं। सबसे ज्यादा पुलिस विभाग द्वारा पदोन्नति सूची जारी की जा रही है ।
*प्रदेश भर में 1 लाख से अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों द्वारा सभी विभागो के कुल रिक्त पदों में से अनुसूचित जाति व जनजाति के लिए पद संरक्षित करने एवं पदों को संरक्षित करने की सूचना सार्वजनिक करने मांग की जाती है। विभागों द्वारा रिक्त सारे पदों को अनारक्षित श्रेणी में भरने के दुष्चक्र से 1 लाख से अधिक अनुसूचित जाति व जनजाति अधिकारी कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। हम लॉक डाउन का पालन करते हुए केवल पत्र व्यवहार से विभागो को अवगत करा रहे है। हम कोई विरोध प्रदर्शन नहीं करना चाहते हैं । यदि हमारी जायज मांगों को अनदेखा किया जाता है तो हम धरना प्रदर्शन के लिए बाध्य होंगे जिसकी समस्त जिम्मेदारी शासन प्रशासन की होगी ।उक्त जानकारी सोशल जस्टिस लीगल सेल संगठन के कोऑर्डिनेटर विनोद कुमार कोसले द्वारा दी गई है।
✍🏻 सोशल जस्टिस लीगल सेल
बहुत अच्छा लगा लगा सर हम आपके साथ है , हमारी मांग जायज है और यदि इसे पूरा नही किया गया तो हमें धरना अवश्य करना है 144 लगाकर पूरे ST,SC,OBC समुदाय का मानसिक शोषण हम नही सहेंगे।।
ReplyDelete����������������
बहुत अच्छा लगा लगा सर .....हम आपके साथ है , हमारी मांग जायज है और यदि इसे पूरा नही किया गया तो हमें धरना अवश्य करना है, धारा144 लगाकर हमे सड़क में उतरने से रोक रहे है व पूरे ST,SC,OBC समुदाय का मानसिक शोषण हम नही सहेंगे , जनता सरकार का अभिन्न अंग है और सरकार भी जनता को खुश रखने के लिए ही बनाया गया है , बाबा साहेब द्वारा रचित संविधान पर ये अपनी मन मर्जी चला रहे है एक के बाद एक दलित,आदिवासी, व पिछड़े समाज को ऊपर उठाने के बजाय उनको और भी गिरा रहे है ।
ReplyDeleteVery nice statement sir its time to now unite and make national level movements strategy
ReplyDeleteकोर्ट द्वारा स्थगन दिये जाने के उपरांत भी पदोन्नति में विधि विरुद्ध नियम से जारी किये गये आदेश को क्या कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती???
ReplyDeleteपदोन्नति में आरक्षण पर बहस जारी है और फैसले लम्बित हैं उस स्थिति में नियमों को दरकिनार का किये गये सभी पदोन्नर्ती आदेशों को निरस्त किये जाने हेतु अपील करना चाहिये।।।
प्राकृतिक आपदा की आड़ में स्वार्थ सिद्ध करने वाले आडम्बरकारी तत्वों को ठोस जवाब देना अत्यावश्यक है।।।
समान प्रतिनिधित्व को आरक्षण के नाम से बदनाम कर सभी महत्वपूर्ण पदों और संस्थाओं में कुंडली मारे बैठे देश के सबसे बड़े आरक्षणभक्षी वर्ग से संघर्ष ही अंतिम सत्य है।।।
Very nice explanation
ReplyDeleteGood
ReplyDeleteसही बात है सर जी
ReplyDeleteसोसल जस्टिस लीगल सेल द्वारा उठाये गये मांग उचित है। पदोन्नति नियमों के संसोधन के सम्बंध में जब तक मामला हाई कोर्ट में विचाराधीन है तब तक समस्त विभागों की पदोन्नति पर अनिवार्य रूप से रोक लगनी चाहिए। इस दौरान हुई समस्त पदोन्नति आदेश निरस्त किये जाने चाहिए।
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