छत्तीसगढ़ में राजकीय शोक का खुला उल्लंघन

कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय ने एक बार फिर दी छत्तीसगढ़ सरकार को खुली चुनौती....
 
रायपुरl  छत्तीसगढ़ की जनता प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी जी के दिव्य आत्मा के शांति की प्रार्थना अभी पूरी भी नहीं कर पाई है , पूरा प्रदेश अब भी जहां शोक भरे वातावरण में डूबा नजर आ रहा है तो वही दूसरी ओर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिन्हें राजकीय शोक से कोई लेना देना नहीं है| इस यथार्थ को पूर्णता सिद्ध करता नजर आया छत्तीसगढ़ का एकमात्र विवादित कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय| यहां के संघी विचारधारा वाले प्रोफेसरों और नये नवेले कुलपति बलदेव भाई शर्मा ने एक बार फिर  सरकार के आदेश को न मानकर सीधे टक्कर देने की कोशिश ही नहीं की बल्कि इसे सरेआम साकार कर दिखाया है| 

यह वही विश्वविद्यालय है जहां विद्यार्थियों को नैतिकता का पाठ पढ़ाने वाली,सच और झूठ की लड़ाई लड़ने वाली, समाज के लिए अस्त्र साबित होने वाली व देश का चौथा स्तंभ कही जाने वाली पत्रकारिता का पाठ्यक्रम  संचालित किया जाता है|


  वह पत्रकारिता जो विद्यार्थियों को सच के लिए लड़ने और कलम से क्रांति लिखने की सीख देती है, किंतु यहां के कई प्रोफेसर स्वयं ही फर्जी और बेईमान है| इन्हें न तो किसी की मातम का गम है और न ही 

उचित-अनुचित की परवाह| यही वजह है कि इन्होंने सरेआम एक बार फिर न नैतिकता के विरोध में जाकर अपना हित तय किया है| बल्कि इनकी इस गतिविधि ने मानवता को भी शर्मसार कर दिया है|  विश्वविद्यालय की इस घटना से न केवल विश्वविद्यालय बल्कि सजग पत्रकार साथीयों  की भी किरकिरी सरेआम हुई है | 


   विदित हो कि 31 मई 2020 को विश्वविद्यालय द्वारा राजकीय शोक घोषित होने के बावजूद राष्ट्रीय वेबिनार कोरोना महामारी के दौरान डिजिटल मीडिया की भूमिका विषय पर कार्यक्रम का आयोजन  सरकारी इंतजामों के साथ बड़े ही उत्सुकता के साथ मनाया जा रहा था| 

वेबीनार का आयोजन ई-मीडिया के माध्यम से लाइव हो रहा था जिसमें देशभर के शोधार्थी, प्रोफेसर और बुद्धिजीवी जुड़े हुए थे| अचानक ही उनके समक्ष वह दृश्य आ गया जिससे वे सभी अनजान थे, कि जिस प्रदेश को अभी अपने होनहार प्रथम मुख्यमंत्री को खोए हुए 2 दिन भी नहीं हुए, उसी प्रदेश के एक सरकारी शैक्षणिक संस्थान में कार्यक्रम का आयोजन राजकीय शोक  को ताक पर रखते हुए सहजता के साथ किया जा रहा था| 

   संघ का आत्मपरिसर कहे जाने वाली कुशाभाऊ ठाकरे पत्रकारिता एवं जनसंचार विश्वविद्यालय के इस वेबीनार कार्यक्रम के लिए भी वक्ता के रूप में संघ के विचारधारा वाले व्यक्तियों को प्राथमिकता से आमंत्रित किया गया था| कार्यक्रम के विवरण ब्रोशर के अनुसार यह वेबीनार दो सत्रों में आयोजित होना था जिसमें प्रथम सत्र का आयोजन सुबह 11:00 बजे से  12:30 बजे तक व द्वितीय सत्र का आयोजन  1:00 बजे से  2:00 बजे तक रखा गया था | 

कुशाभाऊ ठाकरे विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से  मिली जानकारी के अनुसार जब यह विरोध जताया गया तब तक प्रथम सत्र जारी रहा। जिसमें संघ के वक्ताओं में से प्रो. जयंत सोनवलकर कुलपति मध्यप्रदेश भोज. मुक्त विश्वविद्यालय  भोपाल, डॉ.मानस प्रीतम गोस्वामी, विभागाध्यक्ष पत्रकारिता विभाग केंद्रीय विश्वविद्यालय तमिलनाडु, वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र तिवारी नई दिल्ली और प्रोफेसर पुष्पेंद्र पाल सिंह संपादक रोजगार और निर्माण भोपाल अपनी बात किए जा रहे थे।  कुछ अन्य वक्ता अपने वक्तत्व के इंतजार में थे| 

इस दौरान वेबीनार के लाइव स्क्रीन में सजग छात्रों द्वारा फ्लैग रेस करके  समस्या से अवगत कराया गया।

साथ ही सजग छात्रों द्वारा विश्विद्यालय जाकर विरोध दर्ज कराया गया।  विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों द्वारा विवि के प्रोफेसरों, नये नवेले कुलपति के विरोध में नारे लगा रहे थे, तो वही विरोध प्रदर्शन का दृश्य भी वेबीनार के ऑनलाइन लिंक में प्रदर्शित होने लगा था | प्रदर्शित दृश्य में यह स्पष्ट देखने को मिल रहा था कि विद्यार्थी विश्वविद्यालय प्रबंधन से प्रदेश में राजकीय शोक होने के चलते कार्यक्रम को बंद करने की मांग कर रहे हैं| 

इसके बाद विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों ने लाइव जुड़े दर्शकों को अवगत कराया गया कि यहां के शिक्षकगण व प्रोफेसर आदि विचारधारा के इतने भूखे हो चुके हैं कि किसी व्यक्ति के मातम में भी कार्यक्रम का आयोजन कर लेते हैं| 

एक बार फिर ऐसी गतिविधि के माध्यम से पत्रकारिता विश्वविद्यालय द्वारा छत्तीसगढ़ की सरकार को अंगूठा दिखाने का सार्थक कार्य किया गया है, 

  ज्ञात हो कि कार्यक्रम का आयोजन विश्वविद्यालय के इलेक्ट्रॉनिक विभाग के तत्वाधान में किया जा रहा था| कार्यक्रम आयोजक  इलेक्ट्रॉनिक मीडिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ.नरेंद्र त्रिपाठी थे| कार्यक्रम की अध्यक्षता  विश्वविद्यालय के  कुलपति  प्रोफेसर बलदेव भाई शर्मा द्वारा किया जाना था|  समस्त संबंधित जनों के नाम को विश्वविद्यालय द्वारा प्रकाशित वेबीनार के ई-ब्रोशर में स्पष्ट देखा जा सकता है| एक ओर जहां विश्वविद्यालय के अतिथि प्राध्यापक, असिस्टेंट प्रोफेसर के द्वारा सरकार के विपरीत जाने का साहसी कदम इस पत्रकारिता विश्वविद्यालय में एक बार फिर देखने को मिलता है,तो वही संगी विचारधारा वाले कुलपति बलदेव भाई शर्मा के पुर्न आगमन से इन शिक्षकगण और प्रोफेसरों में आत्मीय बल का प्रोत्साहन भी ऐसी गतिविधि के माध्यम से स्पष्ट देखा जा सकता है|  
    अब लोग कहने लगे हैं कि क्या प्रदेश की सरकार इतनी ज्यादा बेबस हो गई है कि बार-बार एक छोटे से विश्वविद्यालय द्वारा इन्हें मुंह की खानी पड़ रही है? वहीं दूसरी ओर मध्यप्रदेश में सरकार परिवर्तित होते ही लॉकडाउन कार्यकाल के दौरान भी विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की छटनी कर अपनी विचारधाराओं के व्यक्तियों को कुलपति पद में नियुक्त करके मध्यप्रदेश की सरकार ने अपने शक्ति का खुला प्रदर्शन किया है| लोगों में अब यह तक कहा जाने लगा है कि छत्तीसगढ़ की सरकार के पास न तो कोई  रणनीति है और न ही इसके पास उचित निर्णय लेने का साहस है|


हनी बग्गा
प्रदेश सचिव
NSUI

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