अपने शोषक और उद्धारक में फर्क जानो
डोमार जाति का कभी गौरवशाली इतिहास रहा है और आर्यो के आने के पहले वह इस देश के शासक थे। लेकिन इन्होंने डोमारो का दमन किया और मैला प्रथा से जोड़ दिया। हमें फिर इस देश का शासक बनना है।
आज से 50 साल पहले तक डोमारो में जो गैर ब्राह्मणी सभ्यता थी संस्कृति थी अपने देवी देवता थे। जो कि किसी भी हिंदू ग्रंथों में नहीं पाए जाते उन्हें डोमारो ने भुला दिया।
ये वे लोग है जो नही जानते की डोमार सहित सभी दलित जाति को किस कारण अनुसूचित जाति में जोडा गया। वे दस बिन्दु जिसके कारण उन्हे अनुसूचित जाति या अछूत जाति में जोडा गया। उनमें से प्रमुख है उनका हिन्दु न होना। डोमार सहित सभी दलित जाति न कभी हिन्दू थी न कभी हिन्दू हो सकती है। आप भले हिन्दू अपने आप को मानो लेकिन सवर्ण हिन्दू कभी भी आपको हिन्दू नही मानते है. न ही आपको मंदिर में प्रवेश देते है। पिछले हफ्ते ही मंदिर प्रवेश के प्रयास में सवर्णो ने ऐसे दलितो पर लात घूसे बरसाये थे। ऐसी खबरें लगातार मीडिया में आते रहती है।
जिन डोमारो को अपने हिंदू होने का भ्रम है वह किसी मेन रोड में अपने जातीय पहचान के साथ दुकान खोलें और देखे कितने हिंदू उनसे सामान खरीदते हैं हिंदू होने का भ्रम खत्म हो जाएगा । आज भी मनीषा वाल्मीकि से लेकर मध्य प्रदेश शिवपुरी मे डोमार समाज की दो बच्चियों की निर्मम हत्या किसने की यह जान जाओगे तो पैरों तले जमीन खिसक जाएगी।
ऐसे में कट्टर हिन्दूु समर्थक दो प्रकार के लोग ही बचे है
1. जिन्हे अपने इतिहास का ज्ञान नही है।
2. जिन्हे आर आर एस ने हिन्दु धर्म प्रचार के लिए पैसे दिये है या पद पुरस्कार देने का लालच दिया है।
आईये अब ये भी जान ले वे कौन सी 10 कसौटी थी जिन आधारो पर डोमारो को अनुसूचित जाति में शामिल किया गया। ये दस कसौटी या बिन्दु 1930 के जनगणना के दौरान तैयार की गई, आज भी गजेटियर में इसके दस्ताावेज मौजूद है।
1. जो ब्राम्हण की प्रधानता नही मानतें।
2. जो किसी ब्राम्हण अथवा अन्य किसी माने हुए हिन्दु गुरू से मन्त्र नही लेते।
3. जो वेदों को प्रमाण नही मानते।
4. जो हिन्दु-देवताओं को नही पूजते।
5. जिनका अच्छे ब्राम्हण पौरोहित्य नही करते।
6. जो कोई ब्राम्हण पुरोहित नही रखते।
7. जो हिन्दु मंदिर के भीतर नही जा सकते।
8. जो अस्पृष्य नही है अथवा निर्धारित सीमा के भीतर आ जाने से अपवित्रता का कारण होते है।
9. जो अपने मुर्दो को गाड़ते है।
10. जो गोमांस खाते है और गौ का किसी प्रकार से आदर नही करते।
इसीलिए अपने शोषणकर्ता और उद्धारकर्ता में फर्क जानो। आज जो समता समानता और तमाम प्रकार के सुविधाएं संविधान से मिल रही है वह सिर्फ बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की बदौलत है। इसे बचा कर रखो और उनके द्वारा बताए गए मार्ग का अनुसरण करो। जिन जातियों ने बाबा साहब के संघर्ष वाले पथ को अपनाया है वह आज कहां से कहां पहुंच गई। लेकिन हमारा समाज आज भी वहीं है।
बड़ों को प्रणाम, बराबर वालों को प्यार और अपने से छोटे को आशीर्वाद मिले।
जय भीम
संजीव खुदशाह
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