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आधी आबादी नहीं हूं मैं

आधी आबादी नहीं हूं मैं
(अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 8 मार्च के लिए विशेष) 


मत प्रचारित करो कि मैं आधी आबादी हूं
कन्या भ्रूण हत्या करना और उसे कूड़े में फेंक देना याद है ना तुम्हें।
सती के नाम पर जला देना और देवी बनाकर उसकी पूजा करना याद है ना तुम्हें। 

मत प्रचारित करो कि मैं आधी आबादी हूं।
मेरे मुंह पर तेजाब फेंकना और बदचलन करार देना याद है ना तुम्हें।
ट्रेनों में बसों में धीरे से स्पर्श करना फिर बाह पकड़ना याद है ना तुम्हें। 

अभी अभी तो तुमने मुझे जलाया है 
होलिका के नाम पर, भूले ना होगे तुम।
होली के जश्न के मुबारकबाद मेरे कान में 
अभी तक गूंज रहे हैं।
उसके बाद महिला दिवस की बधाई देना 
कम से कम तुम्हें तो नहीं जंचता है। 

घरों में तुलसी की तस्वीर तुमने 
बड़ी शिद्दत से लगायी है।
जिन्होंने मुझे ताड़न के अधिकारी बताया है। 

न्याय के मंदिर में मनु की मूर्ति लगाकर 
बड़े गदगद होगे तुम।
जिन्होंने मुझे इंसान तक का दर्जा देने से इंकार किया है। 

जनसंख्या की रिपोर्ट तो देखी होगी तुमने 
लगातार मेरी आबादी घट रही है।
फिर तुम किस मुंह से मुझे आधी आबादी कहते हो। 

मैं परेशान हूं तुम्हारे डबल स्टैंडर्ड्स से
अच्छा होता कि तुम मुझे मुबारकबाद ही नहीं देते।
मुझे आदत हो गई है तुम्हारे बेनकाब चेहरे को देखने की।
मत प्रचारित करो कि मैं आधी आबादी हूं।
संजीव खुदशाह

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