संजीव खुदशाह
पिछले दिनों मरम्मत का अधिकार यानी राइट टू रिपेयर का वेबसाइट सेंट्रल गवर्नमेंट के द्वारा जारी किया गया। इस पर लेकर कंपनियों और उपभोक्ताओं के बीच अधिकारों को लेकर चर्चा जोरों पर है। दरअसल अब तक होता यह रहा है कि उपभोक्ता किसी यंत्रों की खरीदी के बाद अगर वह यंत्र बिगड़ जाए तो उसे सुधार करने में या सुधार करवाने में एड़ी चोटी एक करना पड़ता था। कंपनी ने एक नियम बना रखा है कि यदि आप अनाधिकृत सुधारक से सुधार करवाते हैं तो उसकी वारंटी खत्म हो जाएगी। कंपनी ऐसा करके उपभोक्ताओं के अधिकारों का हनन करती है और उपभोक्ता परेशान होते हैं। कंपनी के रिपेयर सेंटर कुछ खास बड़े शहरों में ही होते हैं। इसीलिए उन शहरों तक जाना, रिपेयर हो जाने के बाद, फिर लेने जाना, इस प्रक्रिया में उपभोक्ता का बहुत पैसा बर्बाद हो जाता है। कंपनियां सुधार करने का मोटा चार्ज भी वसूल करती है। मजबूरन उसे नया प्रोडक्ट लेना पड़ता है।
इसी प्रकार कई कंपनियां उपभोक्ताओं को खराब हुए कलपुर्जे
उपलब्ध नहीं कराती है। कलपुर्जे नहीं मिलने के कारण उपभोक्ताओं को परेशानी झेलनी
पड़ती है और उनको अपना प्रोडक्ट औने पौने दामों में कबाड़ी को बेचने के लिए मजबूर
होना पड़ता है।
इससे कंपनी एवं दुकानदार दोनो मुनाफा कमाते हैं। आम जनता को
नुकसान होता है। आम जनता की इसी परेशानी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने इस
वेबसाइट को जारी किया है। जिस पर जाकर उपभोक्ता अपने प्रोडक्ट रिपेयर करा सकता है
या उसके कलपुर्जे मंगवा सकता है।
https://righttorepairindia.gov.in/index.php
क्या है कानून?
इस प्रकार के कानून अमेरिका समेत विकसित देशों में पहले से
लागू है और इसका कड़ाई से पालन किया जाता है। लेकिन भारत में इस प्रकार के कानून
की मांग बहुत समय से होती रही है।
हमारे देश में उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय (एमसीए) ने 'मरम्मत के अधिकार' ढांचे के साथ एक समिति
गठित की है। 'राइट टू रिपेयर' से लोग इलेक्ट्रॉनिक्स और ऑटोमोबाइल सहित कई
उत्पादों को सस्ते दाम पर रिपेयर करवा सकते हैं। इससे उत्पादों की वारंटी प्रभावित
नहीं होगी।
कानून प्रक्रियाधीन है लेकिन राइट टू रिपेयर नाम के वेबसाइट
से सरकार ने आम जनता को जागरूक करने और अधिकार देने का काम शुरू कर दिया है।
अब तक क्या होता था?
इसे दो काल्पनिक घटनाओं से समझना जरूरी है
1. एक उपभोक्ता ने RO वाटर
प्यूरीफायर मशीन खरीदा 1 साल के बाद उस मशीन में खराबी आ गई और कलपुर्जे नहीं मिलने
के कारण उसे अपनी मशीन को कबाड़ी में बेचना पड़ा। अब कंपनियों की जिम्मेदारी होगी
कि वह उपभोक्ताओं को जरूरी कलपुर्जे उपलब्ध कराएं।
2. एक उपभोक्ता का महंगा
मोबाइल खराब हो गया, जिसे वह सुधरवाना चाहता है। कंपनी के सर्विस सेंटर ने बहुत
महंगे दामों में मोबाइल सुधारने की पेशकश की। लेकिन स्थानीय दुकान में बहुत ही
सस्ते में वह मोबाइल सुधर सकता था। कंपनियों ने ऐसे नियम बना रखे हैं कि यदि आप
अधिकृत सर्विस सेंटर से रिपेयर नहीं करवाते हैं तो वारंटी खत्म हो जाएगी।
मरम्मत का अधिकार के अंतर्गत कंपनियों को क्या
करना होगा?
1 कंपनियों
को अपने प्रोडक्ट के साथ ऐसे यूजर मैन्युअल बनाने होंगे जिससे स्थानीय मैकेनिक उसे
सुधार सकें।
2 अनधिकृत
सर्विस सेंटर से रिपेयर कराने पर वारंटी खत्म होने की शर्त को हटाना होगा।
3 कंपनियां
ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए प्रोडक्ट आउटडेटेड हो गया है कह कर उसके कलपुर्जे
उपलब्ध नहीं कराती है। अब उन्हें यंत्रों के समस्त कलपुर्जे बाजार में उपलब्ध
कराने होंगे।
4 अब
कंपनियों को राइट टू रिपेयर वेबसाइट पर उपलब्ध होना पड़ेगा।
मरम्मत
के अधिकार के फायदे
1
अब उपभोक्ता अपने यंत्रों को मरम्मत करवा सकेंगे
नया यंत्र खरीदने की मजबूरी नहीं होगी।
2
खराब यंत्रों के कबाड़ बन जाने (स्क्रैप) में
कमी आएगी। इससे प्रदूषण भी कम होगा।
3
छोटे दुकानदारों और मैकेनिक को रोजगार मिलेगा।
4
यह उपकरणों के जीवन काल, रखरखाव, पुन: उपयोग, उन्नयन, पुनर्चक्रण और अपशिष्ट
प्रबंधन में सुधार करके चक्रीय अर्थव्यवस्था के उद्देश्यों में योगदान देगा।
5
पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को बल मिलेगा।
कौन-कौन से उत्पाद शामिल हैं?
राइट टू रिपेयर के तहत आप मोबाइल, टैबलेट, वायरलेस हेडफोन, ईयरबड्स, लैपटॉप, यूनिवर्सल चार्जिंग
पोर्ट, यूनिवर्सल
चार्जिंग केबल, बैटरी, सर्वर और डेटा स्टोरेज, प्रिंटर जैसे उपकरणों
का लाभ उठा सकते हैं। इसके अलावा वाटर प्यूरिफायर,
वाशिंग मशीन, रेफ्रिजरेटर, टेलीविजन, इंटीग्रेटेड/यूनिवर्सल
रिमोट, डिशवॉशर, माइक्रोवेव, एयर कंडीशनर, गीजर, इलेक्ट्रिक केटल, इंडक्शन कुकटॉप, मिक्सर ग्राइंडर और
इलेक्ट्रिक चिमनी, कार, बाइक, कृषि यंत्र जैसे उत्पाद भी शामिल हैं।
Publish on Navbharat 15/5/2023
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