बिनाका गीत माला
के अमीन सयानी
संजीव खुदशाह
आवाज की दुनिया के बादशाह रहे हैं अमिन
सयानी। हीरो हीरोइन गायक कलाकारों के पीछे तो हमेशा लोग पागल रहे हैं लेकिन ऐसा
पहली बार हुआ जब किसी एनाउंसर के पीछे लोग इस तरह दीवाने थे। इनका क्रेज किसी
सुपरस्टार से कम कभी नहीं रहा। वे भारतीय उपमहाद्वीप के अनाउंसरों के आदर्श रहे हैं।
और लगभग हर दूसरा एनाआंसर उनकी तरह बोलना चाहता है। 50, 60 और
70 के दशक में पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में यह माहौल था कि हर
बुधवार को रात 8:00 बजे गलियां और सड़के सुनसान हो जाया करती
थी। लोग ट्रांजिस्टर, रेडियो से चिपक जाते । आधे घंटे का यह
प्रोग्राम लोगों को बहुत आकर्षित करता था। खास तौर पर अमीन सयानी की डायलॉग
डिलीवरी का जो अंदाज था वह काबिले तारीफ था। वो न ही कठिन हिंदी में था न ही कठिन
उर्दू में खालीस हिंदुस्तानी भाषा में बोलचाल की तर्ज में वे अपनी बात को कहते थे
और यही बात लोगों को पसंद आती थी। बिनाका गीत माला एक काउंटडाउन सो था जिसमें
फिल्मी गीतों की लोकप्रियता के आधार पर प्रति सप्ताह करीब 16 गीत सुनाए जाते थे। आधे घंटे की इस शो में गीत पूरे नहीं बजते थे। लेकिन
लोगों को यह जानने की उत्सुकता रहती की कौन सा गीत किस गीत के आगे है या पीछे है।
सरताज गीत कौन सा है ? कौन सा गीत किस पायदान में है ? इसी प्रकार साल भर के सरताज गीत दिसंबंर के आखरी
बुधवार को बजते जिसमें एक गीत सभी गीतो का सरताज बनता।
अमित सयानी बताते हैं कि जब उन्होंने बतौर
एनाउंसर अपनी करियर की शुरुआत करनी चाही तो ऑल इंडिया रेडियो ने उन्हें रिजेक्ट कर
दिया और यह कहा कि योर वॉइस इस नॉट सूटेबल फॉर अस।
हर गायक कलाकार अभिनेताओं की यह चाहत होती
कि उनके गीत बिनाका गीत माला में बजे। बिनाका गीत माला में गीत बजने का मतलब होता
था की फिल्म सुपरहिट होना तय है । अमीन सयानी इस कार्यक्रम में न केवल गीतों को
सुनाते थे बल्कि उस गीत की पृष्ठभूमि के बारे में भी बताते थे । जो की बहुत रोचक
हुआ करता था। लगभग उन्होंने तमाम फिल्मी हस्तियों से अपने इस काउंटडाउन शो बिनाका
गीत माला में बातचीत की और उसका एक आर्काइव भी अपने पास रखा। जिसे उन्होंने
गीतमाला की छांव में के अपने एपिसोड में प्रसारित किया। उन्होंने कुछ फिल्मों में
भी बतौर एनाउंसर अभिनय किया जैसे भूत बंगला, तीन देवियां, बॉक्सर
और कत्ल।
पिछले कुछ दिनों से वे काफी बीमार चल रहे
थे। लेकिन सक्रियता उनकी आखिरी दिनों तक बनी रही । आज के तमाम रेडियो जॉकी के वे
आईकान थे। आज वे हमारे बीच नहीं है लेकिन उनकी आवाज आज भी जैसे कि हमारे कानों में
गूंज रही है। जिन्होंने उनका प्रोग्राम रेडियो पर सुना है वह कभी उन्हें भूल नहीं
सकेंगे। उनकी यादें हमेशा उनके जहन में बनी रहेगी ।
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