बिना सांस्कृतिक गुलामी के ये कैसे संभव है कि महिलाएं उस रामायण के कांड का पाठ खुद करती? जिसमें यह कहा गया है डोर गवार शुद्र पशु नारी यह है ताड़न के अधिकारी। एक दलित ओबीसी उस भागवत कथा का आयोजन खुद करता है जिसमें उसे नीच बताया गया है। इसलिए एसी एसटी पिछड़ा वर्ग समाज को सांस्कृतिक गुलामी का एहसास कराना जरूरी है।
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