डॉ
आंबेडकर फैशन नहीं पैशन है
योगेश
प्रसाद
डॉ
आंबेडकर के प्रति आरएसएस और भारतीय जनता पार्टी की नफरत कोई नई नहीं है। याद कीजिए
आज से कई साल पहले अटल बिहारी वाजपेई की
सरकार के दौरान ऐसा ही एक मामला सामने आया। भाजपा नेता अरुण सौरी ने एक किताब लिखी।
जिसका नाम था झूठे भगवान की पूजा "worshipping false God"
Ambedkar and the fact which have been crashed यहां पर भगवान
अंबेडकर को बताया गया। किताब के भीतर अंबेडकर के बारे में कितनी और कैसी बातें कही
गई होगी, इसका आप अंदाजा किताब के शीर्षक से ही लगा सकते
हैं। तब भी काफी बवाल मचा लेकिन वह बवाल साहित्यिक हलकों तक ही सीमित रहा।
वोट
के लालच में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और तमाम भाजपा के नेता यहां तक आरएसएस के
प्रमुख भी बे मन से ही सही डॉक्टर अंबेडकर के सामने अपने शीश को झुकाते हैं। लेकिन
उनके प्रति नफरत बीच-बीच में बाहर आ जाती है। हिंदू कोड बिल डॉ आंबेडकर के द्वारा
पेश किए जाने के दौरान आरएसएस ने डॉक्टर अंबेडकर के पुतले तक जलाएं और खुलकर विरोध
किया। जो इतिहास के पन्नों में दर्ज है।
इसी
बीच अमित शाह के द्वारा भरी संसद में डॉ अंबेडकर को नीचा दिखाने की जो कोशिश की गई
है। यह निंदा करने योग्य है। भारत की शोषित पीड़ित 85% जनता
डॉ अंबेडकर को बाबा साहब कहती है। बाबा का मतलब होता है "पिता"। मराठी
में पिता को बाबा कहते हैं। बाबा साहब के प्रति इस शोषित पीड़ित जनता के मोहब्बत
का आप अंदाजा लगा सकते हैं की बाबा साहब को मानना और उन्हें मोहब्बत करना उनके लिए
कोई फैशन नहीं बल्कि एक पैशन है। क्योंकि यह पीड़ित जनता यह मानती है कि आज जो वह
बराबरी, शिक्षा, पानी का अधिकार उन्हें
मिला है. वह सिर्फ बाबा साहब के संघर्षों के परिणाम से मिला है। वैसे बाबा साहब
देश में ही नहीं पूरे संसार में यह स्थान रखते हैं कि उनका कोई भी अदना सा व्यक्ति
अपमान नहीं कर सकता। उनकी शान में गुस्ताखी नहीं कर सकता। लेकिन अमित शाह के
द्वारा बेहूदे शब्दों का प्रयोग करना। दरअसल भारत की उस पीड़ित शोषण 85% जनता का अपमान है। जो उन्हें अपना पिता मानती हैं। जिस अपमान को वह जनता
महसूस कर रही है और आक्रोशित है। इस पर भी बेहूदगी यह देखिए कि भारतीय जनता पार्टी
और दूसरे मामलों की तरह एक मामले को दबाने के लिए दूसरा मामला अपने गोदी मीडिया के
माध्यम से ठोकती है। यह प्रयास यहां पर भी किया जा रहा है। राहुल गांधी के धक्का
देने के मामले को इतना उठाया जा रहा है ताकि अमित शाह वाले बयान के मामले को ठंडा
कर दिया जाए।
जाति वादियों द्वारा डॉक्टर अंबेडकर का अपमान करना एक आम बात है। लेकिन किसी संवैधानिक पद पर
बैठे व्यक्ति द्वारा इस तरह से 85% जनता को अपमानित करना
निश्चित रूप से दुर्भाग्य जनक है। बार-बार यह तर्क दिया जा रहा है कि उनके वीडियो
को ए आई द्वारा बनाया गया है। फाल्स वीडियो है। जबकि सच्चाई यह है कि लोगों ने
सांसद टीवी पर अमित शाह को ऐसा बोलते देखा है और वही वीडियो वायरल हो रहा है। हालांकि
11 सेकंड के इस वीडियो को अगर आप पूरा देखते हैं तो भी आप
बाबा साहब के बारे में अपमानजनक बात किए जाने को इनकार नहीं कर सकते।
इस
आलेख को लिखे जाने तक अमित शाह ने न तो अपने बयान का खंडन किया है न ही अपने बयान
पर खेद व्यक्त किया है। इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं की सत्ता का नशा सर चढ़कर बोल
रहा है और कहते हैं कि जब सत्ता का नशा सर चढ़कर बोलता है तो नशा उतरने में देर
नहीं लगती है। काश इस बीच प्रधानमंत्री मोदी जी जो लोगों के बीच अपने आप को पिछड़ा
वर्ग का बताते हैं। सामने आते और देश से माफी मांगते। अमित शाह को मंत्री पद से
बाहर करते। लेकिन ऐसा करना भारतीय जनता पार्टी की फितरत में नहीं है।
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