4 अगस्त 2019
रविवार फ्रेंडशिप डे पर विशेष
दोस्ती का सम्मान है फ्रेंडशिप डे
संजीव खुदशाह
मित्रता एक महत्वपूर्ण निधि है। आज के समय में जब समाजिक
सौहाद्रता को दाग लग रहा है, लिंचीग जैसी घटनाएं घट रही है ऐसे समय में दोस्ती
जैसे रिश्ते की बेहद जरूरत है। कहते है जिसका कोई दोस्त नही होता वह व्यक्ति
समाजिक नही होता। अगर आपका कोई दोस्त है तो संभव है आपका दुश्मन भी होगा। दोस्ती,
दुश्मन को खत्म करने का सबसे कारगर हथियार भी है। किसी दुश्मन को खत्म करना हो,
तो बस उसे दोस्त बना डालो। दुश्मन हमेशा के लिए खत्म हो जायेगा। मित्र कौन हो
सकता है? इसकी कोई सीमा नहीं है। गरीब-अमीर, काला-गोरा,
लड़का-लड़की, युवा-बुजुर्ग कोई भी आपका दोस्त हो सकता है। और दोस्ती के लिए
ऊंच-नीच जाती-पाती धर्म कोई मायने नही रखती है।
फ्रेंडशिप डे क्या है?
दोस्ती के प्रतीक के रूप में जाने वाले इस दिन की शुरुआत
सन् 1919 में हुई, जिसका श्रेय
हॉलमार्क कार्डस के संस्थापक जॉएस हॉल को जाता है। लोग उन दिनों अपने दोस्तों को
फ्रेंडशिप डे कार्ड भेजा करते थे। उन दिनों से शुरू हुआ यह सिलसिला बदस्तूर आज भी
जारी है। अगस्त के पहले रविवार को यह ख़ास दिन मनाने के पीछे वजह यह थी कि अमेरिकी
देशों में यह समय ऐसा होता है, जब दूर-दूर तक
किसी पर्व-त्योहार की छुट्टी नहीं होती। सन् 1958 के 30 जुलाई को औपचारिक रूप से
अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे (विश्व मैत्री दिवस) की घोषणा की गई थी। बताया जाता है
कि डाक्टर अर्टरमिओ ने अपने दोस्त ब्राचो के साथ पराग्वे नदी के पास रात्रि भोजन
किया था। पहली बार पराग्वे में ही इस दिन को मनाया गया था। दक्षिण अमेरिकी देशों
में सबसे पहले इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने की शुरुआत हुई थी। कुछ स्थानों
में इसकी तिथियां अलग होती है लेकिन अगस्त के पहले रविवार को यह त्यौहार खासतौर पर
पूरे विश्व में मनाया जाता है। यूनाइटेड नेशन ने भी इस दिन पर अपनी मुहर लगा दी
है। इसीलिए अब इस त्यौहार को अंतरराष्ट्रीय फ्रेंडशिप डे के रूप में मनाया जाता है।
कैसे मनाए?
कई लोग इसे ‘’दोस्ती का सम्मान’’ के रूप में मनाते हैं।
बहुत सारे ऐसे रिश्ते हैं जिन पर जंग लग चुकी है और रोजमर्रा में भुला दिए गए हैं
या खटास आ गई है। उनके लिए यह त्यौहार एक बहाना हो सकता है दोस्ती जिंदा करने का,
तरों ताजा करने का, इस दिवस को लोग खासतौर पर बने बैंड एक दूसरे के हांथों में
बाधते हैं, उपहार देते हैं, गिले-शिकवे मिटाते हैं। पूरा दिन एक दूसरे के साथ
बिताते हैं। कई स्थानों पर स्कूल कॉलेजों के पुराने दोस्त मिलकर पार्टियां भी करते
हैं। आज तकनीकी क्रांति और सोशल नेटवर्किग साइट्स के ज़माने में दोस्त और दोस्ती
के प्रति अपनी भावना व्यक्त करने का यह अवसर, दुनियाभर में दिन-प्रतिदिन लोकप्रिय हो रहा है। लोगों के
बीच रंग, जाति, धर्म जैसी बाधाओं को तोड़कर आपस में दोस्ती और
परस्पर सौहाद्र बढ़ाने का संदेश देने वाले इस अनूठे त्योहार के सम्मान में, वर्ष 1998 में संयुक्त राष्ट्र के तत्कालीन महासचिव
कोफ़ी अन्नान की पत्नी, नाने अन्नान ने
प्रसिद्ध कार्टून कैरेक्टर विन्नी द पूह को दोस्ती के लिए संयुक्त राष्ट्र में
दुनिया का राजदूत घोषित किया।
घर में खुशियां चाहिए तो परिवार के सदस्यों को
मित्र बना डालो
मित्रता एक खास प्रकार का रिश्ता होता है।मित्र बनाने के
लिए किसी रिश्ते की बाध्यता नही है। लेकिन हर प्रकार के रिश्ते को आप दोस्ती में
बदल सकते हैं। यदि आप ऐसा करते हैं तो आपके जीवन में खुशियों का अंबार लग सकता है।
पत्नी को दोस्त बनाइए देखिए आपके जीवन में नई रौनक आ जाएगी। वैसे ही पिता, पुत्र,
मां, बहन, भाई, दादा, दादी छोटे बच्चे किसी को भी आप अपना दोस्त बना सकते हैं। और
अपने जीवन में खुशिया ला सकते है।
दोस्ती का आधार
दोस्ती का आधार प्यार, विश्वास और बराबरी होता है। इन तीनों
में से किसी एक की भी गैरमौजूदगी में दोस्ती की कल्पना नहीं की जा सकती। यदि कोई ऐसी
मित्रता है? तो वह मित्रता कम बंधन
ज्यादा होगा। इसलिए सभी रिश्तो में दोस्ती को सबसे ऊंचा स्थान दिया गया है।
अच्छा दोस्त
यह तो हर कोई कहता है कि अच्छे दोस्त तकदीर वालों को मिलता है। हर व्यक्ति की चाहत होती है की उसे
एक अच्छा दोस्त मिले। लेकिन कितने लोग है, जो ये चाहत रखते की वे एक अच्छे दोस्त
बने। अच्छा दोस्त बनना असान काम नही है। अच्छा दोस्त बनने के लिए आपको दुख-सुख
में खड़ा होना होगा, त्याग करना पड़ेगा, दोस्त के अच्छे बुरे व्यवहार को सहना
पड़ेगा। तब कही जाकर आप अच्छे दोस्त बन सकते है। जो अपेक्षा आप अपने अच्छे दोस्त
के लिए करते है वही आपको अच्छे दोस्त बनने के लिए करना पड़ेगा।
एक ओर सूचना क्रांति ने दूरस्थ बैठे दोस्त को करीब ला
दिया वही निकटवर्ती मित्रो की टोली सूनी हो गई। आस पड़ोस के मित्रों को भी पूरा
समय देना होगा। क्योकि वे ही आपके और आप ही उनके तुरंत काम आयेगें। पूरे देश में
कट्टरवाद तेजी से फैल रहा है। जाति और धर्म आधारित लिंचीग की घटनाएं बढ़ रही है।
ऐसे समय में मित्रता दिवस नई आशा लेकर आता है। मित्रता दिवस केवल मित्रता को याद
करने वाला दिवस नही है बल्कि नये मित्र बनाने का भी है। आईये हम जातपांत ऊंच नीच
धर्म की सीमाओं को तोड़कर नये मित्र बनाये ताकी किसी अल्पसंख्यक की लिंचीग न हो
सके, कोई वंचित पिछड़े के दर्द को समझ सेके उसका शोषण न हो। यह दोस्ती का त्यौहार
सिर्फ ग्रीटिंग कार्ड, शुभकामना संदेश, बैड़ एवं पार्टियों तक सीमित न हो। बल्कि
सीमाओं को तोड़ कर समाजिक सौहाद्र स्थापित करने का काम करे।
4 अगस्त 2019 नवभारत में प्रकाशित