शून्य परछाईं दिवस
जब परछाईं भी आपका साथ छोड़ देती है
✒ संजीव खुदशाह

जीरो सैडो डे क्या है?
कर्क रेखा से भूमध्य रेखा के बीच तथा भूमध्य रेखा से मकर रेखा के बीच आने वाले स्थानों में शून्य परछाईं दिवस आता है. दरअसल यह शुन्य परछाई दिवस का वह क्षण, दिन भर के लिए नहीं बल्कि कुछ ही पलों के लिए दोपहर के 12:00 बजे के आस पास होता है. इस समय दुनिया के तमाम वैज्ञानिक, जिज्ञासु विद्यार्थी, तर्कशील लोग कई अनोखे प्रयोग करते हैं. वह इस खास पल में खड़े होकर अपनी परछाईं को ढूंढते हैं. गिलास को उल्टा रखकर यह देखते हैं कि उसकी परछाईं किस तरफ आ रही है. कई कई तरह के रोचक प्रयोग इस दौरान किए जाते हैं. आइए इस दिवस को हम एक विज्ञान के चश्मे से समझने की कोशिश करें और इस खगोलीय घटना को यादगार पल में बदले.
दरअसल सूर्य के उत्तरायण और दक्षिणायण होने के दौरान 23.5 अंश दक्षिण पर स्थित मकर रेखा से 23.5 अंश उत्तर की कर्क रेखा की ओर सूर्य जैसे जैसे दक्षिण से उत्तर दिशा की ओर बढता है वैसे-वैसे दक्षिण से उत्तर की और गर्मी की तपन दक्षिणी गोलार्ध में कम होती जाती है और उत्तरी गोलार्ध में बढ़ती जाती है . सूर्य की किरणे पृथ्वी पर जहाँ जहाँ सीधी पड़ती जाती है वहां वहाँ उन खास स्थानों पर ठीक दोपहर में शून्य परछाईं पल निर्मित होता जाता है. ठीक इसी प्रकार उत्तर से दक्षिण की ओर सूर्य, वापस आते समय ठीक मध्यान में उसी अक्षांश पर फिर से शून्य परछाई बनाता है. यानी कर्क रेखा से मकर रेखा के बीच दक्षिणायण होते सूर्य से यह दुलर्भ खगोलिय घटना होते दुबारा देख सकते है. कन्या कुमारी से कर्क रेखा तक मध्य भारत के तमाम स्थानों में अप्रेल से जून तक और वापसी में जून से अगस्त तक किसी खास दिन वास्तविक मध्यान्ह में इस खगोलिय घटना को हर वर्ष दो बार देखा जा सकता है.
इस सम्बन्ध में छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के श्री विश्वास मेश्राम बताते है मध्य प्रदेश , उड़ीसा और छत्तीसगढ़ के विज्ञान कार्यकर्ताओं के लिए एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन शीघ्र ही किया जा रहा है जिसमे वरिष्ठ खगोलभौतिकविदो तथा वैज्ञानिको द्वारा हमारे अक्षांश के ठीक उपर जेनिथ से सूर्य कब गुजरेगा तथा इसे हम विद्यार्थियों के साथ क्यों, किस प्रकार और कैसे अवलोकन कर सकेंगे , इसे प्रयोगों द्वारा बताया जायेगा.
आईये देखे कि कुछ खास स्थानो में ये शून्य परछाई दिवस कब कब पडने वाला है-
उत्तरायण में शून्य परछाई दिवस
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दक्षिणायण में शून्य परछाई दिवस
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स्थान
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11 मई
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1 अगस्त
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कोंटा
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13 मई
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30 जुलाई
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सुकमा
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14 मई
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29 जुलाई
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किरंदुल, बचेली/बीजापुर
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15 मई
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28 जुलाई
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दंतेवाडा
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16 मई
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27 जुलाई
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जगदलपुर
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18 मई
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25 जुलाई
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कोंडागांव, नारायणपुर
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21 मई
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22 जुलाई
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कांकेर /नगरी
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23 मई
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20 जुलाई
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दल्ली-राजहरा, धमतरी
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24 मई
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19 जुलाई
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बालोद
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25 मई
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18 जुलाई
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कसेकेरा, राजनांदगांव
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26 मई
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17 जुलाई
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भिलाई, डोंगरगढ़, महासमुंद, पिथौरा
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27 मई
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16 जुलाई
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बसना, रायपुर
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29 मई
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14 जुलाई
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बलोदा-बाजार
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30 मई
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13 जुलाई
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बालाघाट, भाटापारा
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31 मई
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12 जुलाई
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कवर्धा, रायगढए चाम्पा
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1 जून
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11 जुलाई
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बिलासपुर, मुंगेली
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3 जून
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9 जुलाई
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कोरबा
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6 जून
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6 जुलाई
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कुनकुरी
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8 जून
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4 जुलाई
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जशपुर
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12 जून
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30 जून
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चिरमिरी, सूरजपुर
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भारत में सूर्य की इस गति को एक खास नाम दिया गया है। सूर्य की उत्तर की ओर यात्रा को उत्तरायण कहा जाता है और दक्षिण की ओर यात्रा को दक्षिणायण कहा जाता है।
यदि आप उत्सुक है ये जानने के लिए कि आपके शहर में ये शून्य परछाईं दिवस कब आएगा तो आप आपने मोबाइल से इस लिकं को क्लिक कर सकते है.
परछाईं गायब होने के पीछे क्या है राज?
परछाईं गायब होने के पीछे कोई जादू नहीं बल्कि यह हर साल होता है यह धरती की परिभ्रमण गति की सामान्य प्रक्रिया है. धरती सूर्य का चक्कर लगाने के साथ अपनी जगह पर भी घूमती है. वह अपने अक्ष में 23.5 डिग्री झुकी हुई है, जिस कारण सूर्य का प्रकाश धरती पर सदा एक समान नहीं पड़ता और दिन रात की अवधि में अंतर आता है. 21 जून (आपके भागोलिक स्थिति के अनुसार ये तारीख बदल जाती है.) के दिन दोपहर में कर्क रेखा सूर्य पर होता है, जिस कारण हमारी छायाएं भी वहां पर साल की सबसे छोटी होती हैं। जब सूर्य भूमध्य रेखा से कर्क रेखा की ओर उत्तरायण में होता है तो उत्तरी गोलार्ध में सूर्य का प्रकाश अधिक व दक्षिणी गोलार्ध में कम पड़ता है . जिस कारण उत्तरी गोलार्ध में गर्मी होती है जबकि दक्षिणी गोलार्ध में ठीक इसी समय सर्दी. ठीक यही कारण है कि अन्टार्कटिका अभियान नवंबर-दिसम्बर में जाते है क्योंकि तब दक्षिणीगोलार्ध में गर्मी की ऋतु होती है. इसके बाद 21 सितंबर के आसपास दिन व रात की अवधि बराबर हो जाती है. धीरे-धीरे दिन की अवधि रात के मुकाबले बड़ी होने लगती है. यह प्रक्रिया 21 दिसंबर(आपके भौगोलिक स्थिति के अनुसार ये तारीख बदल जाती है.) तक जारी रहती है. इस दिन उत्तरी गोलार्ध में रात वर्ष की सबसे लंबी होती है, जबकि दिन सबसे छोटा होता है. धरती पर 23½º उत्तर और 23½º दक्षिण अक्षांशो के बीच साल में ऐसे दो दिन आते है, जब हमारी परछाईं एक पल के लिए शून्य हो जाती है. यह घटना कर्क रेखा से भूमध्य रेखा पर आने वाले भूभाग में ही होती है. 21 जून को जब सूर्य ठीक कर्क रेखा के ऊपर होता है तब वहां दोपहर को हमारी परछाई शुन्य होती है जबकि उसके उत्तर में स्थित सभी स्थानों के लिए यह दिन सबसे छोटी परछाई वाला दिन होता है. ज्ञात हो कि कर्क रेखा के उत्तर में तथा मकर रेखा के दक्षिण में शुन्य परछाई दिवस नहीं होते. यह बात स्थिर रूप से सीधी खड़ी रहने वाली वस्तु पर ही लागू होती है. आपको यकीन नहीं हो आप इस दिवस को जरुर आज़माए चाहे आप घर पर हो या अपने कार्यस्थल पर.
संजीव खुदशाह
लेखक तर्कशील सोसाईटी एवं भारतीय विज्ञान सभा के सदस्य है। This article published in Jansatta 20 may 2017