जाति प्रमाण पत्र मे आने वाली कठिनाईयो के पीछे कुछ लोगों कि चाल है।

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोसियेशन
(सामाजिक अधिकारों के लिए प्रतिबध्द)
शासन व्दारा मान्यता प्राप्त
पंजीकृत कार्यालय:- 687 दोन्देखुर्द एच.बी.कालोनी, रायपुर (छ.ग.) पिन-493111
पत्र क्रमांक................ दिनांक 17/4/2011                                              पंजीयन क्रमांक -3220
प्रेस विज्ञप्ति
वार्षिक सम्मेलन तथा डॉ अम्बेडकर जयंती समारोह
विगत १४ अप्रैल २०११ को दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन के तत्वाधान में डोमार-हेला महासम्मेलन तथा डॉं अम्बेडकर जयंती समारोह का आयोजन गॉस मेमोरियल सेन्टर जय स्तंभ चौक रायपुर में किया गया। इस कार्यक्रम में दिल्ली से आये सफाई कर्मचारी आंदोलन के नेशनल कनवेनर श्री बैजवाड़ा विल्सन, पुणे से आये मानुष्कि के प्रोग्राम डायरेक्टर श्री प्रियदर्शी तैलंग, रायपुर के दैनिक देशबंधुग्रुप के प्रधान संपादक श्री ललित सुरजन, रायपुर के ही दलित लेखक श्री संजीव खुदशाह तथा सागर से आये समाजिक कार्यकर्ता श्री शिवरतन हेला भारती ने शिरकत की। कुल तीन सत्र में विभाजित यह कार्यक्रम पूरे एक दिन का था। सबसे पहले कैलाश खरे जो स्टेट कनवेनर है ने इस कार्यक्रम तथा एसोसियेशन का परिचय दिया तथा यह बताया कि इस ऐसोसियेशन का गुगल ग्रुप देश के लोकप्रिय ग्रुप एवं ब्लग्स में शुमार है। प्रथम सत्र के वक्ता के रूप में श्री बैजवाड़ा विल्सन ने कहा कि भारत शासन ने हर जाति हर विभाग को आधुनिक बनाने की कोशिश की। किन्तु सफाई के क्षेत्र में कोई अनुसंधान नही कराया क्योकि उनको मालूम है की ऐसी सैकड़ो जातियां है जो मैला सिर पर ढोकर देश को स्वस्थ रख सकती है। आज शुष्कशौचालय निषेध अधिनियम केवल कागजों तक सीमित है। श्री ललित सुरजन ने कहा यह सही ही की अभी समाज में बदलाव पूरी तरह नही आया है किन्तु हम सब इस कार्यक्रम में शामिल है ये इस बात का सूबूत है कि यह बदलाव तेजी से आ रहा है। पुणे से आये श्री प्रियदर्शी तैलंग ने बताया कि यह प्रयास बहुत ही अच्छा है। छत्तीसगढ़ में डोमार-हेला समाज बहुत बड़ी संख्या में निवास करता है किन्तु अब तक यह समाज एक जुट नही हो पाया था। एकता सबसे बड़ी ताकत होती है। इस मामले में दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन का प्रयास सराहनिय है और मै चाहूगां की ऐसे कार्यक्रम होते रहने चाहिए। उन्होने नागपूर या पूणे में इस समाज के चुने हुये सदस्यों का तीन दिवसीय प्रशिक्षण तथा भ्रमण शिविर आयोजित करने की घोषणा की जिसका सारा खर्च माणुष्कि वहन करेगी। संजीव खुदशाह ने अपने वक्तव्य में कहा की इस कार्यक्रम को आयोजित करने में दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन के सदस्यो को बहुत पापड़ बेलने पड़े। आज यह समाज डॉ अम्बेडकर व्दारा प्रदत्त सभी सुविधाऐ शिक्षा, समानता, आरक्षण, ऐट्रोसिटी एक्ट आदि का भरपूर उपयोग करता है किन्तु उसी बाबा साहेब को अपनाने में कतराता है। यह एक बेईमानी जैसा है आखिर यह समाज कब तक अपने शोषको तथा उध्दारको में फर्क कर पायेगा। उन्होने आगे कहा यदि समाज के ऐसे लोग जो डॉ अंबेडकर को नही मानते है। उनके द्वारा प्रदत्त सुविधाये लेना बंद कर दे।
श्री शिवरतन भारती ने अपने उदबोधन में कहा की संजीव खुदशाह कि प्रसिध्द किताब 'सफाई कामगार समुदाय` हमने पढ़ी और सैकड़ो लोगो को पढ़ाई। उनकी किताब यदि कोई व्यक्ति पढ़ले तो अलग से उसे कुछ समझाने कि आवश्यकता ही नही पड़ती सब कुछ उसमें मौजूद है जो इस समाज का व्यक्ति जानना चाहता है। वे एक लोकप्रिय लेखक है उनके शहर आकर उनसे मिलकर बेहद खुशी एवं गर्व की अनुभूति हुई। ऐसोसियेशन के प्रतिनीधि श्री मोतिलाल धर्मकार ने कहा आज इस समाज को यदि किसी ने सबसे ज्यादा छला है तो वह है इसी समाज के तथा कथित नेता तथा आरक्षण जैसी सुविधाओं का लाभ लेकर उचे पदो पर बैठे वो लोग जो इस समाज को पलट कर नही देखते न ही बाबा साहेब को मानते है उनकी एक सूची बनाकर उनकी सार्वजनिक भर्त्सना की जानी चाहिए। आखिर जाति छुपा कर कितने दिन रहा जा सकता है। सागर से आये श्री शंकर गंगापारी जी ने अपने उदबोधन में कहा की हमारा समाज एक जुट नही हो पा रहा है, सुदर्शन, वाल्मीकि, नवल, गोगापीर जैसे नामों को पकड़कर अलग-अलग बटां हुआ है आज जरूरत है कि बाबासाहेब जिनके कारण हमे सारी सुविधाये मिल रही है उन्ही के नाम पर हम एक जुट हो जाऐं। उन्होने कहा आज दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन के बुलावे पर हम यहां आये सुबह रायपुर पहुच कर दैनिक हरीभूमि अखबार में एक बहुत अच्छा लेख बाबा साहेब और भंगी जातियों पर पढ़ा, हमें आश्चर्य और खुशी का ठिकाना नही रहा की यह लेखं संजीव खुदशाह जी का ही था। ये बहुत खुशी कि बात है हमारे बीच ऐसे लेखक है जिनके लेख को ऐसा महत्वपूर्ण स्थान मिलता है। पूर्व पार्षद कंधीलाल कुण्डे ने कहा हमारे समाज का व्यक्ति समाज के लिए एक रूपये खर्च करने में संकोच करता है इस समाज को संगठित करने कि आवश्यकता है और संगठन तभी बन सकता जब संगठन के पास वित्तीय ताकत है हो, इसलिए मै आग्रह करता हू कि हर वेतन भोगी प्रतिमाह एक दिन का वेतन तथा पेशनर वर्ष में १५ दिन का पेशन समाज के लिए खर्च करे। तभी यह समाज संगठीत होगा और तरक्की करेगा।  इस सत्र में रायपुर की श्रीमति किरन खरे, चिरमीरी से आई इसी समाज की एल्डरमेन नगरनिगम श्रीमति गौरी हथगेन ने भी प्रभावपूर्ण वक्तव्य दिया। इस सत्र के समापन कि घोषणा डॉ अनुराग मेश्राम ने की तथा दोपहर के भोजन हेतु सभी को आमंत्रित किया।
दूसरे सत्र में छत्तीसगढ़ के समस्त जिलों से आये बाल प्रतिभाओं को सम्मानित किया गया। सम्मान स्वरूप बाबा साहेब का एक फ्रेम किया हुआ फोटोग्राफ तथा प्रशस्ति पत्र दिया गया। साथ ही ऐसे बच्चे जो अन्य जिलो से आये थे उन्हे ऐसोसियेशन द़्वारा आने जाने का किराया भी दिया गया।

तीसरा सत्र समाज की समस्याओं तथा जाति प्रमाण पत्र बनवाने में आने वाली कठिनाईयों पर केन्द्रित था। इस सत्र के मुख्य वक्ता समाज के सभी विद्वतजन उपस्थित थे, सभी ने कहा कि जाति प्रमाण पत्र मे आने वाली कठिनाईयो के पीछे कुछ लोगों कि चाल है कि हम लोगो को आरक्षण का लाभ नही मिल पाये इसमें सरकार के नुमाईदो की मिली भगत है। आज राज्य में सत्यापन समिति के पास लगभग ३००० ऐसे लोगो का प्रकरण लंबित है जो फर्जी जाति प्रमाण पत्र के सहारे नौकरी कर रहे, उनके खिलाफ सरकार कुछ नही कर रही है किन्तु हम जैसे जरूरतमंद लोगो को तरह तरह के कानून लाद कर आरक्षण से दूर कर रही है।  

सत्र के अंत में एक समाजिक समस्याओं के उपचार हेतु ऐजेण्डे का अनुमोदन किया गया तथा एक समाज भवन रायपुर में निर्माण किये जाने पर सहमती जताई गई। तथा यह भी तय किया गया कि एक प्रतिनीधि मंडल अपनी समस्याओ को लेकर मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन सौपेगा। इस कार्यक्रम में लगभग सभी जिलो से आये २०० लोगा शमिल हुऐ। इसे सफल बनाने में इस दलित मुव्हमेंन्ट ऐसोसियेशन के स्टेट कनवेनर डिस्ट्रीक्ट कनवेनर तथा समाजिक सदस्यों ने बड़ा सहयोग दिया जिनमें शामिल है कैलाश खरे, हरिश कुण्डे, ललित कुण्डे, तथा सचिन खुदशाह।

भवदीय

सचिन कुमार
स्टेट कनवेनर
दलित मुव्हमेंट ऐसोसियेशन
मो 09907714746

वार्षिक सम्मेलन


वार्षिक सम्मेलन तथा डा. अम्बेडकर जयंती समारोह

समस्त  बंधुओं को यह सूचित करते हुए अत्यंत हर्ष हो रहा है कि १४ अप्रैल को डोम, डोमारहेला, सुदर्शन समाज का वार्षिक छत्तीसगढ़ स्तरीय सम्मेलन आयोजित कर रहे है। छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद से हमारे समाज को संगठित किये जाने की जरूरत महसूस हो रही थी ताकि छत्तीसगढ़ के सभी निवासी बंधु अपनी समस्याओं मुद्दो पर मिल बैठकर बातचीत कर सके। इसी उद्देश्य से हम दलित एवं स्त्री समाज के मुक्तिदाता बाबासाहेब डा.भीमराव आंबेडकर की जयंती पर एक सम्मेलन का आयोजन कर रहे है।

हम इस लक्ष्य के निकट है:-

१.      रायपुर में समाजिक भवन का निर्माण की किया जानाताकि जरूरत पड़ने पर सामाजिक कार्यक्रम किया जा सके एवं राजधानी आने वाले सभी समाजिक बंधुओं के लिए ठहरने कि व्यवस्था हो सके।

२.     जाति प्रमाण पत्र बनाने में आने वाली कठिनाईयों का निराकरण करना। (इस संबंध में डी.एम.ए. के एक प्रतीनिधी मंडल ने मुख्यमंत्रीजी से मुलाकात कर अपना निवेदन प्रस्तुत किया जिस पर कार्यवाही जारी है।)

इस अवसर पर इस वर्ष मुख्य परिक्षाओं में सफल हुई बच्चों का सम्मान करेगें। जिसमें प्रदेश के सभी जिलों के बच्चों को शामिल किया जावेगा। कृपया आने कि पूर्व सूचना देवें। इस संबंध में अपना निशुल्क पंजीयन तथा अन्य जानकारी हेतु निकट के निम्नलिखित प्रतिनीधियों से संम्पर्क करें।

 

कार्यक्रम दिनांक १४ अप्रैल २०११

११.३० से २.०० तक कार्यक्रम का उद्धाटन (आये हुऐ अतिथियों व्दारा डा. अम्बेडकर के कार्य पर केन्द्रित वक्तव्य)

२.०० से ३.०० तक    भोजन

३.०० से ४.०० तक   आपसी परिचय तथा समाज   कि समस्याओं पर केन्द्रित चर्चा

४.०० से ५.०० तक बच्चों का सम्मान एवं पुरस्कार वितरण

५.०० से ६.०० तक समाजिक समस्याओं एवे उसके उपचार हेतु ऐजेण्डे का अनुमोदन।

       अंबिकापुर:-दिवाकर प्रसाद इमालियाबिलासपुर:-राजकुमार समुंद्रेसचिन खुदशाहचिरीमीरी:-राजेश मलिकगौरी हथगेन ऐल्डरमैन चिरमीरी दुर्ग-भिलाई:-विजय मनहरेगणेश त्रिमले डोगंरगढ़:-उमेश हथेलघमतरी:- अमित वाल्मीकि कोरबा:-अशोक मलिकरमेश कुमाररायगढ़:-सुदेश कुमार लालारायपुर:- हरीश कुण्डे,मनोज कन्हैया मनेन्द्रगढ़:-राजा महतो पार्षद।

संयोजक - कैलाश खरे मो.097528774888,

आयोजक

दलित मुव्हमेन्ट ऐसोशियेशन रायपुरछत्तीसगढ़

शासन व्दारा मान्यता प्राप्त

पंजीयन क्रमांक ३२२० संम्पर्क करें 09977082331

दलित साहित्य-दलित चेतना व हिन्दी साहित्य पर विचार गोष्ठी

दलित चेतना व हिन्दी साहित्य पर विचार गोष्ठी

पिछले दिनों मायाराम सुरजन फाउण्डेशन द्वारा ''दलित चेतना एवं हिंदी साहित्य`` विषय पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। युवा दलित लेखक एवं सामाजिक कार्यकर्ता संजीव खुदशाह ने इस विषय पर विस्तार पूर्वक आलेख प्रस्तुत किया जिस पर उन्होने कहा की दलितों में आई सामाजिक चेतना एवं दलित चेतना में जमीन आसमान का फर्क है। अच्छे साफ कपड़े पहनना, विलासिता के वस्तु का संचय करना उच्च पदो में पहुचने का दंभ भरना समाजिक चेतना है किन्तु दलित चेतना इन सबसे परे अपने इतिहास को पहचानना, अपने शोषको की संस्कृति का तिरस्कार करना एवं डा. आम्बेडकर की विचार धारा का पालन करना है। श्री संजीव खुदशाह यह मानते है कि दलित साहित्य के केवल विचारात्क साहित्य का सृजन गैर दलित कर सकते है लेकिन वे सृजनात्मक साहित्य का सृजन वे नही कर सकते क्योकि यह वही लिख सकता है जिसने उस दंश को भोगा है। युवा विचारक तुहीन देब ने कार्यक्रम आयोजन की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डाला।

इस अवसर पर लेखक एवं समीक्षक डॉ. रमाकांत श्रीवास्तव ने कहा की सवर्ण लेखक के द्वारा दलित साहित्य पर लिखी गई रचनाओं को सिरे से नकार देने के मै पक्ष में नही हूं अमृतलाल नागर, प्रेमचंद, नागार्जुन, हृदेयश जैसे लेखको ने इसी तरह की रचनाए लिखी है। उन्होने कई पौराणिक उदाहरण भी प्रस्तुत किये। दूरदर्शन के केन्द्र निदेशक टी.एस. गगन ने अपने उदबोधन में कहा की संजीव खुदशाह ने एक ज्वलंत विषय पर गंभीर बहस का मौका दिया है, उनके तर्क,  उनकी सहमती-असहमती पूर्वागह से परे है। वरिष्ठ पत्रकार ललित सुरजन ने कहा की इसी फाउण्डेशन से संजीव खुदशाह की पहली किताब ''सफाई कामगार समुदाय`` का  लोकार्पण किया गया था आज वे दूसरी बार इस मंच पर अतीथि के रूप में आमंत्रित है। आज दलित साहित्य अपनी सहमती असहमती के बीच से गुजर रहा है ऐसे वक्त कई दलित लेखक रंजनापूर्ण साहित्य का लेखन कर रहे है ऐसे दौर में संजीव खुदशाह जैसे दलित लेखक समग्र दृष्टिकोण से लिख रहे है ये एक अच्छी बात है। विख्यात समाज चिंतक डॉ. डी.के.मारोठिया ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की एवं दलित चेतना को रेखांकित करते हुए अपना उद्बोधन दिया। सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता एम.बी.चौरपगार ने भी अपने विचार प्रस्तुत किये। कार्यक्रम में गुलाब सिंह, गिरीश पंकज सदस्य साहित्य आकादमी, प्रदीप आचार्य , श्रीमति कौशल्यादेवी खुदशाह, शाबाना आजमी, सोनम, मोतिलाल धर्मकार, कैलाश खरे आदि बड़ी संख्या में प्रबुध्दजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन फाउण्डेशन के सचिव राजेन्द्र चांडक ने किया।

प्रस्तुति
सचिन कुमार

हीरा डोम की कविता


प्रथम हिन्दी दलित कविता

हीरा डोम की कविता

हमनी के रात दिन दुखवा भोगत बानी
हमनी के सहेबे से मिनती कराइबी । 
हमनी के दुख भगवनवो न देखत जे
हमनी के कबले कलेसवा उठाइबी  
पदरी साहब की कचहरी में जाइबजा । 
बेधरम हो के अंगरेज बन जाइबी ॥ 
हाय राम धरम न हमसे छोड़त बाजे । 
बेशरम होके कहाँ मुहवाँ दिखाईबी ॥ 
खंभवा को फारी प्रह्लाद के बचवले जा । 
ग्राह के मुंह से गजराज के बचवले ॥ 
धोती जुरजोधना के भइया छोरत रहे । 
परगट होके तहां कपड़ा बढ़वले ॥
मारले खानवा के पत ले विभीखना के ।
कानी उंगली पे धैके पथरा उठाइबे ॥
कहाँ लो सुतल बाटे सुनत न बाटे अब ।
डोम जानी हमनी के छुए से डेरइले ॥ 
हमनी के इनरा के निगीचे ना जाइबजा ।
पांकि में से भरी भरी पियतानी पानी ॥
पनही से पीटी पीटी हाथ गोड़ तोड़ ले हों ।
हमनी के इतना काहेको हलकानी 
हमनी के रात दिन दुखवा भोगत बानी
हमनी के सहेबे से मिनती कराइबी...
(1913
में हंस में प्रकाशित)

Dalit literature Year 2011 (Hindi)

Dalit literature Year 2011 (Hindi)
इस वर्ष हंस पत्रिका व्दारा जारी उल्लेखनीय दलित साहित्य २०११ इस प्रकार है।


क़मांक
किताब   
लेखक
अन्य
1
दलित साहित्य और विमर्श के आलोचक
कंवल भारती

2
आधुनिक भारत में पिछड़ा वर्ग
संजीव खुदशाह

3
धर्म के आरपार
नीलम कुलश्रेष्ठ

4
साहित्य के दलित सरोकार
कृष्ण दत्त पालिवाल

5
नागपाश में स्त्री
गीताश्री

6
जनसंख्या समस्या के स्त्री-पाठ के रास्ते
रवीन्द्र पाठक

7
पत्तो में कैद औरते
शरद सिंह

8
दलित मुक्ति संधर्ष और कथा साहित्य
इकरार अहमद


अन्य किताबे जिनका भी उल्लेख किया जाना चाहिए

9
डंक
रूपनारायण सोनकर

10
अंधेरे में कंदील
कुंति

11
बस एक बार सोचों
डा. सुधीर सागर

12
नरक की सफाई
के.एस. तूफान

पुणे में मेहतर वाल्मीकि समाज चिंतन विषय पर परिसंवाद आयोजित


पुणे शहर के मेहतर वाल्मीकि समाज तथा माणुसकी ने विगत ३० अक्तुबर २०१० शाम ५ बजे मेहतर वाल्मीकि समाज चिंतन पर परिसंवाद का आयोजन किया । इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में चर्चित किताब ''सफाई कामगार समुदाय`` के प्रसिध्द दलित लेखक एवं चितंक रायपुर के संजीव खुदशाह को आमंत्रित किया गया। श्री खुदशाहजी ने अपने उद्बोधन में कहा की ''सफाई कामगार समाज को आज दलित आंदोलन से जुड़ने कि आवश्यकता है तभी यह समाज प्रगति कर पायेगा। और दलित आंदोलन को जानने के लिए डॉ आंबेडकर को जनना आवश्यक है। हमारा यह समाज डॉ आबेडकर के द्वारा प्रदत संविधान के सारे लाभ तो जरूर उठाता है किन्तु उनकों मानने से कतराता है। यह बात बाबा साहेब के साथ बेईमानी जैसा है। यही कारण है आज भी यह समाज टुकड़ियों में बटा हुआ १९३० की स्थिति में गुजर बसर कर रहा है। जिन दलित जातियों ने अपने आपको दलित आंदोलन से जोड़ा वे सब आज तरक्की पर है।`` उन्होने आगे कहा की डॉ बाबा साहेब की किताब 'शूद्र कौन और कैसे?` पढ़कर उनकी पूरी जिन्दगी बदल गई। श्री विलास वाघ जो प्रसिध्द अंबेडकर वादी चिन्तक तथा दैनिक बहुजन महाराष्ट्र के संम्पादक है ने इस कार्यक्रम में कहा की इस समाज को जाति आधारित काम से विरक्त होना चाहिए साथ ही ब्राम्हण वादी चक्रव्यू से मुक्त होना भी जरूरी है। इस समाज का व्यक्ति पढ़ लिख कर ब्राम्हणवाद की गिरफ्त में आसानी से आ जाता है। अनिल कुडिया, बाबूलाल बेद तथा माणुसकी के प्रियदर्शी तैलंग ने भी अपने विचार व्यक्त किये। मौलाना अबुल कलाम आजाद समागृह में आयोजित इस कार्यक्रम में वाल्मीकि समाज के अनेक मान्यवर उपस्थित थे।

अमित गोयल
नागपूर  महाराष्ट्र

नव वर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

नये वर्ष में आईये हम सब प्रतिज्ञा करें। भारत में समानता, बंधुता, भाईचारा सहित जाति विहीन समाज की स्थापना हो। एक ऐसा भारत का निर्माण करे जो सिर्फ आकड़ों में महान न हो बल्कि मानवता में भी महानता का आदर्श हो।
नव वर्ष की हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

संजीव खुदशाह
दलित मुव्हमेंन्ट ऐसोसियेशन के सभी सदस्यों की ओर से
 Sanjeev Khudshah 
Mobile No:- 09977082331
BLOGS OF DALIT MOVEMENT ASSOCIATION

डा. अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस पर डी.एम.ए. की संगोष्ठी

डा. अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस पर डी.एम.ए. की संगोष्ठी

दिनांक 19-12-2010 को लोकायन, रजबंधा मैदान, रायपुर में दलित मुव्हमेंन्ट ऐशोसियेशन द्वारा महादलितो के बीच डा. अम्बेडकर परिनिर्वाण दिवस पर एक संगोष्ठि आयोजित की गई । शाम ४ बजे यह कार्यक्रम दो पालियों में विभक्त था पहली पाली में संजीव खुदशाह ने कार्यक्रम का परिचय दिया तथा मंच का संचालन कैलाश  खरे ने किया। इस पाली के वक्ता थे श्री मोती लाल धर्मकार, कंधीलाल कुण्डे एवं श्री विश्वनाथ खुदशाह सभी ने डा. अम्बेडकर द्वारा समाज के विकास पर किये गये योगदान की चर्चा की।
दूसरी पाली 5 बजे से 6 बजे के बीच हुई जिसमें सभी सदस्यो ने खुली चर्चा की। इस खुली चर्चा में समाज की समस्याओं की सूची तैयार की गई एवं इसके निदान पर एक मत होकर कार्यवाही किये जाने का अनुमोदन किया गया। दूसरी पाली के वक्ता थे, अशोक मलिक, सोना रक्सैल, राजा डेलीकर, आई.एल.हथगेन, श्याम सुन्दर समुन्द्रे, सुशील सोनखरे, दिनेश महतो, अमित कुण्डे, श्रीमति कौशल्या देवी तथा प्रेम खोटे।

कैलाश खरे
14/164
न्यू रेल कालोनी
रायपुर

त्रैमासिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी

त्रैमासिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी` का 'पिछड़ा वर्ग` विशेषांक हेतु रचनाओं का आमंत्रण पत्र
मान्यवर,
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विषय :     त्रैमासिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी` का 'पिछड़ा वर्ग` विशेषांक हेतु रचनाओं का आमंत्रण पत्र
हमें यह सूचित करते हुए अत्यंत खुशी हो रही है कि रमणिका फाउंडेशन द्वारा प्रकाशित त्रैमासिक पत्रिका 'युद्धरत आम आदमी` का अगला विशेषांक 'पिछड़ा वर्ग` पर केन्द्रित होगा। इसमें पिछड़ा वर्ग से सम्बन्धित कहानी, कविता, लेख, सुझाव आदि आमंत्रित किये जा रहे हैं।
पिछड़ा वर्ग विशेषांक के इस आयोजन में हम उन जातियों की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक स्थितियों पर चर्चा करेंगे जो ब्राह्मण, क्षत्रिय या वैश्य नहीं हैं न वे दलित या आदिवासी हैं। इसी प्रकार वे जातियां जिनका वर्ण-व्यवस्था में, उसकी स्थिति को लेकर विवाद है को भी इसमें शामिल करेंगे। जैसे कायस्थ, भूमिहार तथा मराठा आदि।
आप एक प्रबुद्ध लेखक हैं तथा सामाजिक सरोकार में आपका योगदान सराहनीय रहा है। तत् सम्बन्ध में आपसे रचनाएं आमंत्रित हैं। आशा करते हैं कि ३० दिसंबर २०१० तक आप अपनी रचनाएं निम्न पते पर प्रेषित करें।
आप अपनी रचनाएं सीधे अतिथि संपादक संजीव खुदशाह को ही प्रेषित कर सकते हैं।

भवदीय
संजीव खुदशाह
एम-II/156 फेस-1
संत थामस स्कूल के पास
कबीर नगर, रायपुर (छग)
पिन-492099
09977082331
sanjeevkhudshah@gmail.com
भवदीय
(रमणिका गुप्ता)
संपादक : युद्धरत आम आदमी
भवदीय